मोदी सरकार ने बुधवार को पारंपरिक कौशल वाले लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘पीएम विश्वकर्मा’ योजना को मंजूरी दे दी। इस योजना के तहत उदार शर्तों पर 1 लाख रुपये तक का ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। आज हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। सरकार ने इस योजना के लिए 13,000 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं जिससे बुनकरों, सुनारों, लोहारों, कपड़े धोने वाले श्रमिकों और नाई सहित लगभग 30 लाख पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को लाभ होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में इस योजना की घोषणा की। प्रधान मंत्री ने घोषणा की कि यह योजना 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती पर शुरू की जाएगी।
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– संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट बैठक के बाद कहा कि योजना के तहत, शिल्पकारों को पहले चरण में 1 लाख रुपये और दूसरे चरण में 2 लाख रुपये का रियायती ऋण प्रदान किया जाएगा।
– ऋण 5 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर पर प्रदान किया जाएगा।
– 13,000 करोड़ रुपये की योजना बढ़ई, सुनार, राजमिस्त्री, कपड़े धोने वाले श्रमिकों और नाई को ताकत प्रदान करेगी, जो ज्यादातर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय से हैं।
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– सरकार बिजनेस के लिए पहले चरण में 1 लाख रुपये और दूसरे चरण में 2 लाख रुपये तक का लोन देगी।
– विश्वकर्मा योजना में लगभग 30 लाख परिवारों को सहायता मिलेगी, जिसका अर्थ है कि प्रत्येक परिवार के एक व्यक्ति को सरकार का समर्थन मिलेगा।
– इससे शिल्पकारों को आर्थिक संबल मिलेगा।
– स्कीम लोगों को अग्रिम कौशल प्रशिक्षण में मदद करेगी।
– लाभार्थियों को नवीनतम तकनीक तक पहुंच प्राप्त होगी।
– कागज रहित भुगतान
– व्यापक पैमाने पर और कारीगरों की वैश्विक बाजार तक पहुंच