मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के अपने पद से इस्तीफा देने के कुछ दिन बाद हिंसा प्रभावित मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है और विधानसभा को निलंबित कर दिया गया है। वैसे जबसे पूर्व केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला को मणिपुर का राज्यपाल बनाया गया था तभी से इस बात का आभास हो रहा था कि राज्य के हालात को संभालने के लिए केंद्र सरकार कोई नई रणनीति बना चुकी है। मणिपुर में शांति व्यवस्था कायम करने में केंद्रीय गृह सचिव के नाते राज्य सरकार का सहयोग करते रहे अजय कुमार भल्ला ने पद संभालते ही हालात में बदलाव लाने की दिशा में तेजी से कदम उठाना भी शुरू कर दिया था। वह सेना के अधिकारियों के साथ बैठकें कर सुरक्षा हालात की जानकारी लेने के अलावा खुद भी विभिन्न क्षेत्रों का दौरा कर रहे थे तथा कुकी एवं मेइती के बीच तनाव को कम करने के प्रयास में शीर्ष अधिकारियों और सामुदायिक नेताओं से मुलाकात कर रहे थे। अब चूंकि राष्ट्रपति शासन के तहत राज्य का सारा प्रशासन उनके अधीन आ गया है इसलिए वह हालात को और बेहतर बनाने के लिए ज्यादा कदम उठा सकेंगे।
अधिसूचना में क्या कहा गया है?
हम आपको बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, मणिपुर विधानसभा को निलंबित कर दिया गया है, जिसका कार्यकाल 2027 तक है। हम आपको बता दें कि मणिपुर में भाजपा सरकार का नेतृत्व कर रहे एन. बीरेन सिंह ने करीब 21 महीने की जातीय हिंसा के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इस हिंसा में अब तक 250 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। बीरेन सिंह ने नौ फरवरी को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के कुछ घंटे बाद इंफाल में राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को रिपोर्ट भेजे जाने के बाद राष्ट्रपति शासन लगाने का निर्णय लिया गया।
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मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की घोषणा करते हुए गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का मानना है कि ‘‘ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसमें इस राज्य की सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार नहीं चल सकती।’’ अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘अब, संविधान के अनुच्छेद 356 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए, मैं घोषणा करती हूं कि मैं भारत के राष्ट्रपति के रूप में मणिपुर राज्य सरकार के सभी कार्यों और इस राज्य के राज्यपाल द्वारा निहित या प्रयोग की जाने वाली सभी शक्तियों को अपने अधीन करती हूं।’’ अधिसूचना में कहा गया है कि राज्य विधानमंडल की शक्तियों का प्रयोग संसद द्वारा या उसके प्राधिकार के तहत किया जा सकेगा।
नया मुख्यमंत्री नहीं चुन पाई भाजपा
हम आपको बता दें कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रपति शासन लगाने का निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब पार्टी के पूर्वोत्तर प्रभारी संबित पात्रा और पार्टी विधायकों के बीच कई दौर की चर्चा के बावजूद पार्टी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार पर आम सहमति बनाने में विफल रही। हम आपको याद दिला दें कि मई 2023 में मणिपुर में जातीय हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें इंफाल घाटी में बहुसंख्यक मेइती समुदाय और आसपास की पहाड़ियों में बसे कुकी-जो आदिवासी समूहों के बीच हिंसक झड़पें हुईं। जातीय हिंसा के कारण अब तक 250 से अधिक लोगों की मौत हो गई और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।
सुरक्षा व्यवस्था सख्त
इस बीच, इंफाल में अधिकारियों ने बताया कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद प्रतिबंधित आतंकी समूहों की किसी भी हरकत से निपटने के लिए मणिपुर में सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। उन्होंने बताया कि इंफाल घाटी के इलाकों में भारी संख्या में सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं, जहां अरमबाई टेंगोल समूह के कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर हमले किए हैं। अधिकारियों ने बताया कि असम राइफल्स और अन्य अर्धसैनिक बल इंफाल शहर में कानून-व्यवस्था की किसी भी अप्रिय स्थिति को रोकने के लिए फ्लैग मार्च करेंगे।
भाजपा की प्रतिक्रिया
दूसरी ओर, पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू होने और विधानसभा को निलंबित किए जाने के एक दिन बाद अब सभी की निगाहें भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व पर टिकी हैं कि वह राज्य में अगला कदम क्या उठाएगा। भाजपा की मणिपुर इकाई की अध्यक्ष ए शारदा ने पत्रकारों से कहा कि विधानसभा को संवैधानिक प्रक्रिया के अनुसार निलंबित कर दिया गया है और उन्होंने जोर देकर कहा कि सदन को अभी भंग नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य में हालात सुधरने पर सदन को बहाल किया जा सकता है।
बीरेन सिंह की सफाई
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि राज्य प्रशासन को तीन मई 2023 से अवैध आव्रजन से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, जब प्रदेश में जातीय हिंसा शुरू हुई थी। बीरेन सिंह ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि सीमावर्ती राज्य में अवैध आव्रजन लगातार बढ़ रहा है, जिससे सामाजिक ताना-बाना खतरे में पड़ रहा है। ‘मूल निवासी मित्रों’ को संबोधित करते हुए बीरेन सिंह ने अपने पोस्ट में कहा, “हमारी भूमि और पहचान खतरे में है। एक छोटी आबादी और सीमित संसाधनों के मद्देनजर हम बहुत संवेदनशील हैं। मैंने दो मई 2023 तक लगातार अवैध आव्रजन पर नजर रखी और उसका पता लगाया। लेकिन तीन मई 2023 की दुखद घटनाओं के बाद हमारा राज्य प्रशासन प्रभावी ढंग से जवाबी कार्रवाई करने के लिए संघर्ष कर रहा है।” बीरेन सिंह ने दावा किया कि म्यांमा के साथ 398 किलोमीटर लंबी संवेदनशील सीमा और उस देश के साथ मुक्त आवागमन व्यवस्था (एफएमआर) मणिपुर के जनसांख्यिकीय संतुलन को बदल रही है। उन्होंने कहा, “यह कोई अटकलबाजी नहीं है, यह हमारी आंखों के सामने हो रहा है। मार्च 2017 में जब से हमारी सरकार बनी है, तब से चुनौतियां और भी बढ़ गई हैं। तीन मई 2023 की घटना के बाद तो स्थिति और भी गंभीर हो गई है।”
हम आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने पिछले साल जनवरी में घोषणा की थी कि एफएमआर, जो भारत-म्यांमा सीमा के पास रहने वाले लोगों को बिना वीजा के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किलोमीटर तक प्रवेश की अनुमति देता है, जल्द ही समाप्त हो जाएगा। बीरेन सिंह ने कहा, “मणिपुर एक छोटा राज्य है, जिसकी आबादी कम है और संसाधन भी सीमित हैं। देश की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था में हमारा प्रतिनिधित्व करने के लिए हमारे पास केवल तीन सांसद हैं। फिर भी, हम हमेशा गर्व, दृढ़ता और अटूट जज्बे के साथ खड़े रहे हैं।” उन्होंने कहा, “अवैध अप्रवास लगातार बढ़ रहा है, जिससे हमारे समाज का ताना-बाना ही खतरे में पड़ गया है। अभी तक, हम केवल उन लोगों में से कुछ की ही पहचान कर पाए हैं, जो हमारी भूमि में अवैध रूप से घुस आए हैं। लेकिन उन लोगों का क्या जो आज तक पकड़े नहीं जा सके हैं?” बीरेन सिंह ने सभी संबंधित प्राधिकारियों से आग्रह किया कि वे इस पर गंभीरता से ध्यान दें और मणिपुर में अवैध प्रवासियों का पता लगाने तथा उन्हें निर्वासित करने के प्रयास तेज करें।
राजनीतिक बयानबाजी
दूसरी ओर, मणिपुर के घटनाक्रम पर राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो गयी है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाना भाजपा की ओर से शासन करने में उसकी अक्षमता की देर से की गई स्वीकारोक्ति है। उन्होंने कहा कि अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मणिपुर के प्रति अपनी जिम्मेदारी से इंकार नहीं कर सकते। उन्होंने सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री ने अंततः राज्य का दौरा करने और मणिपुर और भारत के लोगों को वहां शांति एवं सामान्य स्थिति बहाल करने की अपनी योजना समझाने का मन बना लिया है? वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया है कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाया गया क्योंकि कोई भी विधायक भारतीय जनता पार्टी की “अक्षमता” का बोझ स्वीकार करने को तैयार नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अब मणिपुर का दौरा करने और वहां के लोगों से माफी मांगने का साहस दिखा पाएंगे? उन्होंने कहा, “आपके ‘डबल इंजन’ ने मणिपुर की निर्दोष जनता की जिंदगियों को रौंद दिया। अब समय आ गया है कि आप मणिपुर में कदम रखें और पीड़ित लोगों के दर्द और पीड़ा को सुनें और उनसे माफी मांगें। “
इस बीच, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की मणिपुर इकाई ने कहा कि राष्ट्रपति शासन तत्काल हटाया जाना चाहिए और जल्द से जल्द नये चुनाव कराए जाने चाहिए। माकपा की राज्य समिति के सचिव के शांता ने संवाददाताओं से कहा कि पार्टी समान विचारधारा वाले अन्य दलों के साथ राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य की क्षेत्रीय अखंडता के लिए खड़ी रहेगी। वहीं स्वदेशी जनजातीय नेता मंच (आईटीएलएफ) के नेता गिन्जा वुअलजोंग ने कहा कि राष्ट्रपति शासन कुकी-जो समुदाय में उम्मीद जगाएगा। साथ ही उन्होंने कहा कि मेइती समुदाय का मुख्यमंत्री होने से लोगों को राहत नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा, ”कुकी-जो अब मेइती पर भरोसा नहीं करते इसलिए नया मेइती मुख्यमंत्री होने से लोगों को राहत नहीं मिलेगी। राष्ट्रपति शासन से कुकी-जो में उम्मीद जगेगी और हमारा मानना है कि यह हमारे राजनीतिक समाधान के एक कदम करीब होगा।’’