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Jan Gan Man: परिवारवाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद और भाषावाद की राजनीति करने वाले नेताओं का इलाज क्या है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी मंत्रिपरिषद की हालिया बैठक में विकसित भारत के संकल्प को सिद्ध करने के लिए रोडमैप बनाया और उसके आधार पर लोकसभा चुनावों में जाने के लिए अपने मंत्रियों को निर्देश दिया। भाजपा के अन्य नेता भी 2047 का भारत कैसा होना चाहिए, इस मुद्दे को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं लेकिन दूसरी ओर कुछ ऐसे दल भी हैं जो जोड़ने के नाम पर समाज को तोड़ने का काम कर रहे हैं। एक बड़ा विपक्षी नेता घूम घूमकर लोगों की जाति पूछ रहा है और देश में सारे काम छोड़ कर जाति जनगणना की मांग कर रहा है तो एक अन्य बड़े विपक्षी नेता ने कह दिया है कि भारत एक देश ही नहीं है।  अपनी राजनीति चमकाने के लिए कोई विपक्षी नेता उत्तर बनाम दक्षिण की बात कह कर तनाव पैदा करने का प्रयास कर रहा है तो कोई अपने परिवार को ही आगे बढ़ाने में लगा हुआ है।
हम आपको यह भी बता दें कि इंडिया गठबंधन के बड़े नेता लालू प्रसाद यादव ने जिस मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निजी हमले किये थे वहां पर राहुल गांधी, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव जैसे परिवारवादी राजनीति के सूरमा बैठे ठहाके लगा रहे थे। देखा जाये तो एक गरीब परिवार के लड़के का जिस तरह शाही परिवार के शहजादे मजाक उड़ा रहे थे वह असल में देश की जनता का और लोकतंत्र का उपहास था। सवाल उठता है कि इस परिवारवादी राजनीति की समस्या को दूर करने का उपाय क्या है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आजकल अपनी हर चुनावी सभा में परिवारवादी राजनीति पर हमले कर रहे हैं, निश्चित ही इससे जनता में कुछ जागरूकता तो आई है लेकिन सवाल उठता है कि क्या यही परिवारवादी राजनीति का सही इलाज है? सवाल उठता है कि कभी जातिवाद, कभी भाषावाद तो कभी क्षेत्रवाद की राजनीति कर अपना स्वार्थ सिद्ध करने वाले नेताओं का सही इलाज क्या है? 

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इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और भारत के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि यह सब समस्याएं इसलिए हैं क्योंकि कानून घटिया है और न्यायिक व्यवस्था सड़ी हुई है। उनका कहना है कि जब तक कानूनों को सख्त नहीं बनाया जायेगा तब तक यह सब समस्याएं समाप्त नहीं होंगी।

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