लोकसभा चुनाव के नतीजों और फिर नए सरकार के गठन के बाद विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनाव भी संपन्न हो गए हैं। अब बीजेपी नए अध्यक्ष की ताजपोशी की तैयारी कर रही है। बीजेपी के मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा बीते चार सालों से अधिक समय से पार्टी के अध्यक्ष पद पर काबिज हैं। पिछले साल ही उनका कार्यकाल खत्म हो चुका था। लेकिन लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उनका कार्यकाल बढ़ा दिया गया था। अब हाल फिलहाल में किसी राज्य में विधानसभा चुनाव भी नहीं होने हैं। ऐसे में पार्टी का अगला अध्यक्ष कौन होगा इस पर मंथन जारी है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया की शुरुआत मार्च के पहले हफ्ते तक शुरू हो जाएगी। होली (14 मार्च) से पहले पार्टी को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल जाएगा। फरवरी के आखिरी तक 18 राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों के चयन की प्रक्रिया पूरी होते ही राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चुनाव कार्यक्रम घोषित होगा। भाजपा संविधान के मुताबिक राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तभी कराया जा सकता है जब देश के कम से कम आधे राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव हो जाएं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को एक और कार्यकाल देने की जगह पार्टी नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनेगी। हालांकि, भाजपा संविधान के मुताबिक राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए कोई व्यक्ति लगातार दो टर्म के लिए चुना जा सकता है। इस लिहाज से नड्डा तकनीकी रूप से राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की अहर्ता रखते हैं।
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दक्षिण भारत से किसी को मौका संभव, 20 साल से नहीं बना
इस बार राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए दक्षिण भारत से किसी नेता के नाम पर सहमति बनाने का विचार है। क्योंकि, भाजपा का फोकस अब दक्षिणी राज्यों पर है। 20 साल से वहां से कोई राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बना है। 2002-2004 के बीच वेंकैया नायडू (आंध्र) आखिरी थे। इस पर आरएसएस व आनुषंगिक संगठनों से भी चर्चा हो चुकी है। मौजूदा राष्ट्रपति पूर्वी भारत से आती हैं। उप राष्ट्रपति पश्चिम भारत से। प्रधानमंत्री उत्तर भारत (वाराणसी के सांसद) से चुने गए हैं। ऐसे में दक्षिण भारत के किसी नेता को जिम्मेदारी मिलने की संभावना अधिक है। फिलहाल बीजेपी के दक्षिण के दिग्गज नेताओं में प्रहलाद जोशी, एल मुरुगन, जी किशन रेड्डी, के अन्नामलाई, के ईश्वरप्पा, निर्मला सीतारमण शामिल हैं। यदि संगठन द्वारा निर्मला सीतारमण को राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में चुना जाता है तो, ये इस बार का पेश किया गया उनका अंतिम वित्त बजट भी हो सकता। उल्लेखनीय है इस बार के बजट में आयकर सीमा में बड़ी छूट दी गई। जिसका फायदा बीजेपी को दिल्ली के चुनाव में भी देखने को मिला।
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परिसीमन के बाद महिला अध्यक्ष के नेतृत्व में आम चुनाव में जाएगी बीजेपी?
केंद्र सरकार जनगणना कराने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू करने वाली है। ये 2026 तक चलेगी। साल 2026 में गठित होने वाले डिलिमिटेशन कमिशन के आधार पर लोकसभा और विधानसभा सीटों का नए सिरे से सीमांकन होगा। आबादी के नए आंकड़ों के हिसाब से इन निर्वाचन क्षेत्रों का नए सिरे से सीमांकन होगा। संसद की सीटों की संख्या भी बढ़ेगी। इन बढ़ी सीटों के हिसाब से महिलाओं के लिए लोकसभा व विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें आरक्षित की जाएंगी। इसके लिए ऐतिहासिक विधेयक सितंबर 23 में पारित किया जा चुका है। 84वें संविधान संशोधन की भाषा कहती है कि परिसीमन केवल वर्ष 2026 के बाद ली गई पहली जनगणना के आंकड़ों पर ही हो सकता है। सरकार 2029 के लोकसभा चुनावों के लिए परिसीमन प्रक्रिया शुरू करना चाहती है।