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रेलवे यात्रियों की सुरक्षा के लिए क्या उठाए कदम? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा ब्यौरा

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पिछले साल जून में ओडिशा में हुई दुर्घटना सहित ऐसी त्रासदियों को रोकने में टक्कर-रोधी प्रणाली कवच ​​की विफलता के बारे में एक याचिका के जवाब में ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपायों के बारे में जानकारी मांगी। लगभग 300 लोगों की जान ले ली। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा, हम याचिकाकर्ता को दो दिनों के भीतर याचिका की एक प्रति अटॉर्नी जनरल [आर वेंकटरमणी] को सौंपने का निर्देश देते हैं।

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पीठ ने वेंकटरमणी की सहायता मांगी और कहा कि वह चार सप्ताह बाद सुनवाई की अगली तारीख पर सुरक्षात्मक उपायों के बारे में अदालत को अवगत कराएंगे। जून 2022 में ओडिशा ट्रेन दुर्घटना के बाद दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट के वकील विशाल तिवारी ने ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा तंत्र की कमी का जिक्र किया था। याचिका में स्वचालित कवच प्रणाली की प्रभावकारिता पर सवाल उठाया गया है। चेन्नई जाने वाली कोरोमंडल एक्सप्रेस ओडिशा के बालासोर के पास पटरी से उतर गई और बगल के ट्रैक पर एक मालगाड़ी से टकरा गई। दूसरे ट्रैक पर आ रही बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस पटरी से उतरे डिब्बों से टकरा गई और 290 से अधिक लोगों की मौत हो गई और 1000 से अधिक लोग घायल हो गए।

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याचिका में रेलवे और सरकार को सुरक्षात्मक उपायों को लागू करने या और मजबूत करने के निर्देश देने की मांग की गई है। अदालत ने तिवारी से पूछा कि क्या उन्होंने इस निर्देश से पड़ने वाले वित्तीय बोझ की जांच की है। तिवारी ने कहा कि यह सरकार को जवाब देना है कि कवच प्रणाली को किस हद तक लागू किया गया है क्योंकि इस प्रणाली के बिना किसी भी ट्रेन को चलाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। अदालत द्वारा वेंकटरमणि की सहायता लेने पर सहमति जताने से पहले उन्होंने इसे संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों के जीवन के अधिकार का प्रश्न बताया।

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