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जब नारायणमूर्ति ने मंच पर छू लिए थे रतन टाटा के पैर, सुनाया दरियादिली का एक दिलचस्प किस्सा

आईटी उद्योग के दिग्गज और इन्फोसिस के सह-संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने कहा कि अपने प्रिय मित्र रतन टाटा को खोना उनके लिए बहुत पीड़ादायक है। उन्होंने कहा कि टाटा मूल्य आधारित नेतृत्व के संदर्भ में उनके आदर्श थे। मूर्ति ने कहा कि जब भी मुझे नैतिक मुद्दों पर कुछ असमंजस, अस्पष्टता या भ्रम होता था, उस वक्त वह (टाटा) वास्तव में मेरे लिए एक नैतिक मार्गदर्शक होते थे। साल 2020 में एनआर नारायण मूर्ति की रतन टाटा के पैर छूते हुए एक तस्वीर वायरल हुई थी। यह भारतीय कॉरपोरेट जगत के सबसे यादगार और ऐतिहासिक पलों में से एक था। 

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नारायण मूर्ति ने टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया था और फिर उनका आशीर्वाद लेने के लिए वह उनके पैर छूने के लिए झुके। यह देश के दो सबसे सम्मानित उद्यमियों के बीच गहरे आपसी सम्मान का प्रतीक ई था। तब नारायण मूर्ति ने कहा था कि मैं ने बस इतना ही कह सकता हूं कि उनके नक्शेकदम पर चलना मेरे लिए सम्मान की बात है। 

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मूर्ति ने अपने शोक संदेश में कहा कि रतन जैसे प्रिय मित्र को खोना बहुत दुखद है। रतन मेरे लिए मूल्य-आधारित नेतृत्व के संदर्भ में मेरे ‘आदर्श’ थे। टाटा (86) का मुंबई में वृद्धावस्था संबंधी समस्याओं के चलते बुधवार को ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया। नारायण मूर्ति ने रतन टाटा के साथ बिताए एक यादगार लम्हे के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि 2004 में इंफोसिस में जमशेदजी टाटा रूम का उद्घाटन करने के लिए रतन टाटा जी को आमंत्रित किया गया। इस निमंत्रण पर उनके रिएक्शन ने उनकी विनम्रता और शालीनता को दर्शाया। दरअसल रतन टाटा हैरान थे कि क्योंकि जिस आईटी कंपनी (TCS) का उन्होंने नेतृत्व किया, वह इंफोसिस की प्रतिस्पर्धी कंपनी है। उन्होंने कहा कि देखो, मुझे यह कुछ हद तक असामान्य लगता है क्योंकि टीसीएस आपकी प्रतिस्पर्धी कंपनी है। मैंने कहा, नहीं, रतन, जमशेदजी सभी भारतीय कंपनियों से आगे हैं।

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