राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम संविधान को जीते हैं। उन्होंने कहा कि संविधान में जो धाराएं हैं, एक स्पिरिट भी है। मोदी ने कहा कि संविधान को मजबूती देने के लिए संविधान की भावना को जीना पड़ता है। हम वो लोग हैं जो संविधान को जीते हैं। मोदी ने कहा कि 2014 में जब हम आए, तब मान्य विपक्ष नहीं था। उतने अंक लेकर भी कोई नहीं आया था। भारत के अनेक कानून ऐसे थे कि हमें पूरी स्वतंत्रता थी उस कानून के हिसाब से काम करने की। अनेक कमेटियां भी ऐसी थीं, जिसमें लिखा था विपक्ष के नेता उसमें आएंगे, लेकिन विपक्ष कोई था ही नहीं।
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प्रधानमंत्री ने साफ तौर पर कहा कि ये हमारा संविधान जीने का स्वभाव था, हमने तय किया कि भले मान्य विपक्ष नहीं होगा, लेकिन जो सबसे बड़े दल का नेता है, उसे मीटिंग्स में बुलाएंगे। उन्होंने कहा कि जब सत्ता सेवा बन जाए, तो राष्ट्र निर्माण होता है। जब सत्ता को विरासत बना दिया जाए, तो लोकतंत्र खत्म हो जाता है। उन्होंने कहा कि हम संविधान की भावना को लेकर चलते हैं, हम जहर की राजनीति नहीं करते हैं। हम देश की एकता को सर्वोपरि रखते हैं और इसलिए सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनाते हैं। जो दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि सात दशक तक जम्मू-कश्मीर-लद्दाख को संविधान के अधिकारों को अलग रखा गया। ये संविधान के साथ भी अन्याय था और जम्मू-कश्मीर-लद्दाख के साथ भी अन्याय था। हमने अनुच्छेद 370 की दीवार गिरा दी। अब जम्मू-कश्मीर-लद्दाख को देशवासियों को जो अधिकार हैं, वो अधिकर उन्हें मिल रहे हैं। हम संविधान के महात्म्य को जानते हैं। संविधान की भावना को जीते हैं, इसलिए ऐसे मजबूत निर्णय भी हम करते हैं।
उन्होंने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि जाति की बातें करना कुछ लोगों का फैशन बन गया है। पिछले 30 साल से सदन में आने वाले ओबीसी समाज के सांसद दलों के भेदभाव से ऊपर उठकर एक होकर मांग कर रहे थे कि ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा दिया जाए। जिन लोगों को आज जातिवाद में मलाई दिखती है, उन लोगों को उस समय ओबीसी की याद नहीं आई। हमने ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा दिया। उन्होंने कहा कि हमारा निरंतर प्रयास है कि हर योजना का शत प्रतिशत लाभ हर लाभार्थी को मिले। लेकिन कुछ लोगों ने मॉडल ही ऐसा बनाया था कि कुछ ही लोगों को दो औरों को तड़पाओ और तुष्टिकरण की राजनीति करो। देश को विकसित बनाने के लिए तुष्टिकरण से मुक्ति पानी होगी। हमने रास्ता चुना है- संतुष्टिकरण का। हर समाज, हर वर्ग के लोगों को उनका हक मिलना चाहिए।
मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति जी के भाषण की चर्चा के समय यहां विदेश नीति की भी चर्चा हुई। कुछ लोगों को लगता है कि जब तक विदेश नीति नहीं बोलते तब तक वो परिपक्व नहीं लगते। उनको लगता है विदेश नीति तो बोलना चाहिए, भले ही देश का नुकसान हो जाए। उन्होंने कहा कि मैं ऐसे लोगों को कहना चाहता हूं कि अगर उन्हें सच में Foreign Policy में रूचि है और Foreign Policy को समझना है और आगे जाकर कुछ करना भी है, तो मैं ऐसे लोगों को कहूंगा कि एक किताब जरूर पढ़ें। किताब का नाम है- JFK’S FORGOTTEN CRISIS। इस किताब में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू और अमेरिका के तब के राष्ट्रपति John F. Kennedy के बीच हुई चर्चाओं और निर्णयों का भी वर्णन है। जब देश ढेर सारी चुनौतियों का सामना कर रहा था, तब विदेश नीति के नाम पर क्या खेल हो रहा था इस किताब के माध्यम से सामने आ रहा है।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति जी के अभिभाषण के बाद एक महिला राष्ट्रपति का सम्मान न कर सके, लेकिन क्या क्या कह कर उन्हें अपमानित किया जा रहा है। मैं राजनीतिक हताशा समझ सकता हूं लेकिन राष्ट्रपति के खिलाफ… क्या कारण है। उन्होंने कहा कि जो लोग संविधान की बातें करते हैं, उन्हें ज्यादा ज्ञान नहीं है, ये भी दुर्भाग्य की बात है। बहुत कम लोगों को मालूम होगा की हमारे देश में पानी की योजनाओं को लेकर बाबा साहेब अंबेडकर का विजन इतना स्पष्ट, व्यापक और समावेशी था, जो आज भी हमें प्रेरणा देता है। 10 से ज्यादा सिंचाई परियोजनाएं, जो दशकों से लटकी हुई थीं, हमने उन्हें पूरा किया ताकि किसानों के खेतों तक पानी पहुंचे।