लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने नए मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) की नियुक्ति के बाद आरोप लगाया कि ऐसे समय में यह निर्णय आधी रात को लेना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के लिए गरिमा के प्रतिकूल है, जब चयन समिति की संरचना और प्रक्रिया को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है और 48 घंटे से भी कम समय में सुनवाई होनी है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि आधी रात का तख्तापलट: कैसे मोदी-शाह ने मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) की नियुक्ति पर कब्जा किया। कांग्रेस ने पोस्ट कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह अनिवार्य किया था कि मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) का चयन करने वाली समिति में प्रधानमंत्री (पीएम), विपक्ष के नेता (एलओपी) और भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) शामिल हों। मोदी सरकार ने एक नया कानून पारित करके सीजेआईको हटा दिया और उनकी जगह प्रधानमंत्री के चुने हुए एक मंत्री को शामिल किया, जिससे न्यायिक निगरानी कमजोर हो गई।
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इस कानून को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिससे इसकी वैधता पर सवाल उठ गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई की तारीख 19 फरवरी तय की, जो नियुक्ति प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती थी। खतरे को भांपते हुए, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से पहले ही CEC चयन समिति की बैठक जल्दबाजी में बुला ली। विपक्ष के नेता ने स्थगन की मांग की और समिति से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करने का आग्रह किया। एक चौंकाने वाले कदम में, सरकार ने 17 फरवरी की आधी रात को, सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से महज 2 दिन पहले, ज्ञानेश कुमार को नए CEC के रूप में घोषित कर दिया।
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ज्ञानेश कुमार, जिन्हें अमित शाह का दाहिना हाथ माना जाता है, को 2024 के चुनावों की निगरानी के लिए चुना गया, जिससे भाजपा का चुनावी प्रक्रिया पर पकड़ और मजबूत हो गई। कांग्रेस की तरफ से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट को दरकिनार करने से लेकर आधी रात की नियुक्ति तक, मोदी और शाह ने दिनदहाड़े सबसे बड़े चुनावी तख्तापलट को अंजाम दिया।