मायावती को लेकर बयान देने वाले भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राजेश चौधरी इन दोनों जबरदस्त तरीके से सुर्खियों में है। दरअसल, राजेश चौधरी मांट से भाजपा के विधायक है। एक टीवी चैनल पर डिबेट के दौरान उन्होंने मायावती को उत्तर प्रदेश की सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री बता दिया था। हालांकि, इसके बाद राजनीति तेज हो गई है। मायावती से पहले समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने ही इस बयान पर आपत्ति जताई थी। हालांकि इसके बाद मायावती ने भी ट्वीट कर भाजपा पर निशाना साधा। हालांकि लोगों को आश्चर्य इस बात का हुआ कि मायावती से पहले अखिलेश यादव ने राजेश चौधरी के बयान को लेकर मुद्दा बनाने की कोशिश करने लगे।
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इस मामले को लेकर बसपा प्रमुख मायावती ने अखिलेश यादव के प्रति आभार जताया है। वहीं, उन्होंने भाजपा विधायक पर कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि अगर कार्रवाई नहीं हुई तो इसमें भाजपा के षडयंत्र से इनकार नहीं किया जा सकता है। मायावती ने अपने सिलसिलेवार पोस्ट में कहा, ‘‘पार्टी को भाजपा के इस विधायक के बारे में ऐसा लगता है कि उनकी अब भाजपा में कोई पूछ नहीं रही है। इसलिए वह बसपा प्रमुख के बारे में अनाप-शनाप बयानबाजी करके सुर्खियों में आना चाहते हैं, जो अति-दुर्भाग्यपूर्ण है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जबकि भाजपा को चाहिए कि वह उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई करे और यदि वह दिमागी तौर पर बीमार हैं तो उनका इलाज भी जरूर कराए, वरना इसके पीछे भाजपा का कोई षड्यंत्र ही नजर आता है, यह कहना भी गलत नहीं होगा।’’ मायावती ने कहा, ‘‘यदि भाजपा अपने विधायक के विरुद्ध कोई भी सख़्त कार्रवाई नहीं करती है तो फिर इसका जवाब पार्टी के लोग अगले विधानसभा चुनाव में उनकी ज़मानत जब्त करा कर तथा वर्तमान में होने वाले 10 उपचुनावों में भी इस पार्टी को जरूर देंगे।
अखिलेश ने एक्स पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा कि उत्तर प्रदेश के एक भाजपा विधायक का पूर्व महिला मुख्यमंत्री के प्रति कहे गए अभद्र शब्द दर्शाते हैं कि भाजपाइयों के मन में महिलाओं और खासतौर से वंचित-शोषित समाज से आने वालों के प्रति कितनी कटुता भरी है। भाजपाई कह रहे हैं कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर हमने गलती की थी, ये भी लोकतांत्रिक देश में जनमत का अपमान है और बिना किसी आधार के ये आरोप लगाना कि वह सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री थीं, बेहद आपत्तिजनक है। उन्होंने आगे लिखा कि राजनीतिक मतभेद अपनी जगह होते हैं लेकिन एक महिला के रूप में उनका मान-सम्मान खंडित करने का किसी को भी अधिकार नहीं है। भाजपा के विधायक पर इस वक्तव्य के लिए मानहानि का मुकदमा होना चाहिए।
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राजेश चौधरी के बारे में बात करें तो वह कहीं ना कहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा के बड़े जाट नेता के तौर पर अपनी पकड़ को मजबूत करने में लगे हुए हैं। वह लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं। बीजेपी के मुख्य नेताओं में उनकी गिनती होती है। उन्हें संगठन का आदमी माना जाता है और कई बार वह पार्टी के लिए संकट मोचक की भी भूमिका निभा चुके हैं। सक्रिय राजनीति में वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में काम करते हुए दाखिल हुए थे। वह बजरंग दल के भी सक्रिय कार्यकर्ता रहे हैं और गौ रक्षा की वकालत करते रहें। हिंदुत्व को लेकर काफी मुखर रहने वाले राजेश चौधरी कभी मुरली मनोहर जोशी की टीम में थे जब उन्होंने 1992 में श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराया था, तब वह उनकी टीम में थे। वह अनुराग ठाकुर की टीम के सदस्य के तौर पर भी कई कामों में अपनी भूमिका निभा चुके हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में मार्कशीट से श्याम सुंदर शर्मा को उन्होंने हराया। श्याम सुंदर शर्मा इस सीट से आठ बार विधायक रह चुके हैं।