कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा ने अपने विरासत कर वाले बयान से एक और विवाद खड़ा कर दिया है और इस लोकसभा चुनाव के मौसम में सत्तारूढ़ भाजपा को हथियार दे दिया है। विवाद बढ़ता देख कांग्रेस ने इससे किनारा काटते की कोशिश की है। पित्रोदा और कांग्रेस दोनों ने स्पष्ट किया है कि यह उनकीव्यक्तिगत राय थी, लेकिन इस विवाद के जल्द खत्म होने की संभावना नहीं है। 13 राज्यों में 89 सीटों पर दूसरे चरण का मतदान होना है और ऐसे वक्त में वोटिंग से ठीक पहले इस तरह के बयान को बीजेपी की तरफ से लपक लिया गया है। पीएम मोदी से लेकर अमित शाह तक इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे चुके हैं।
इसे भी पढ़ें: Bihar: विपक्ष पर बरसे JP Nadda, कहा- परिवारवादी और भ्रष्टाचारी पार्टियों का जमावड़ा है घमंडिया अलायंस
सैम पित्रोदा कौन हैं?
भारत में संचार क्रांति का जनक भले ही राजीव गांधी और उनके सिपहसलार सैम पित्रोदा को माना जाता है। राजीव गांधी के दिमाग में भारत को सूचना प्रोद्योगिकी, इंटरनेट की दुनिया से जोड़ने का जुनून सवार था। राजीव गांधी ने देश में कंप्यूटर और संचार साधनों की नींव रखी। पित्रोदा कांग्रेस पार्टी की विदेशी शाखा, इंडियन ओवरसीज कांग्रेस को लीड करते हैं। भारत के साथ/भारत के लिए अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को बेहतर बनाने के लिए प्रवासी भारतीयों को प्रोत्साहित करने, संलग्न करने, संगठित करने और सशक्त बनाने के लिए इसका गठन किया गया। सैम पित्रोदा की निजी वेबसाइट उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित दूरसंचार उद्यमी, निवेशक, विकास विचारक और नीति निर्माता के रूप में वर्णित किया है। वेबसाइट के मुताबिक, उन्होंने आईटी सेक्टर में 50 साल बिताए हैं। पित्रोदा ने तीन प्रधानमंत्रियों इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और डॉ. मनमोहन सिंह के साथ काम किया है।
इसे भी पढ़ें: ‘खतरनाक एजेंडा चला रही कांग्रेस’, MP में बोले PM Modi, OBC से आरक्षण छीन कर अपने खास वोट बैंक को देना चाहती है
राहुल के गुरु
राजीव गांधी के नेतृत्व में पित्रोदा छह प्रौद्योगिकी मिशन (दूरसंचार, जल, साक्षरता, टीकाकरण, डेयरी उत्पादन और तेल बीज) का नेतृत्व किया। वर्तमान में वो राजीव के बेटे और इंदिरा के पोते पूर्व कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी के साथ मिलकर काम करते हैं। 81 वर्षीय पित्रोदा पांच गैर सरकारी संगठनों के संस्थापक अध्यक्ष भी हैं, जिनमें इंडिया फूड बैंक, ग्लोबल नॉलेज इनिशिएटिव और इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसडिसिप्लिनरी हेल्थ शामिल हैं। अपनी पत्नी के साथ शिकागो के निवासी, उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में कई कंपनियां भी शुरू कीं।
1984 दंगे को लेकर हुआ तो हुआ बयान
साल 2019 में लोकसभा चुनाव के बीच सैम पित्रोदा का 1984 के सिख विरोधी दंगों को लेकर दिया एक बयान पार्टी के लिए मुसीबत बन गई थी। एएनआई को दिए एक बयान में पित्रोदा ने कहा था कि मैं इसके बारे में नहीं सोचता, यह भी एक और झूठ है. 1984 की बारे में अब क्या? आपने पिछले 5 साल में क्या किया. 84 में हुआ तो हुआ. आपने क्या किया’?