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‘आज का दिन संसद के इतिहास में इतना…’, अचानक राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खड़गे पर क्यों भड़के सभापति जगदीप धनखड़

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार (28 जून) को विपक्ष के विरोध के दौरान विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के सदन के वेल में आने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि कहा कि इतिहास में यह पहली बार है कि इस पद पर बैठा कोई व्यक्ति इस तरह के आचरण में शामिल है। विपक्ष के विरोध और नारेबाजी के कारण संसद के ऊपरी सदन की कार्यवाही शुक्रवार को तीन बार स्थगित करनी पड़ी। सुबह के सत्र में सूचीबद्ध कागजात सदन के पटल पर रखे जाने के तुरंत बाद, सभापति ने सूचित किया कि उन्होंने दिन के निर्धारित कार्य को निलंबित करने और कथित एनईईटी अनियमितताओं के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए विपक्षी नेताओं के 22 नोटिस स्वीकार नहीं किए हैं। जिसकी मांग कई नेताओं ने की थी।
 

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इस घोषणा के बाद विपक्षी सांसदों ने विरोध शुरू कर दिया और नारे लगाने शुरू कर दिए, जबकि उनमें से कई सदन के वेल में आ गए। इसके चलते कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। स्थगन से ठीक पहले, भाजपा नेता सुधांशु त्रिवेदी ने संसद की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति के अभिभाषण के लिए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा पर बोलना शुरू किया था। जब सदन दोबारा शुरू हुआ तो लगभग ऐसे ही दृश्य थे और त्रिवेदी का भाषण फिर से बाधित हो गया। एक समय मल्लिकार्जुन खड़गे भी वेल में आ गए और विपक्ष के विरोध में शामिल हो गए। राज्यसभा सभापति ने टिप्पणी की कि विपक्ष के किसी नेता द्वारा वेल में आने का कृत्य इतिहास में पहली बार हुआ है और यह संसद के लिए एक “कलंक” बन गया है।
 

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उन्होंने दोपहर दो बजे तक कार्यवाही स्थगित करने से पहले कहा, ”मुझे दुख है और आश्चर्य है कि भारतीय संसदीय परंपरा इतनी नीचे गिर जाएगी कि विपक्ष के नेता वेल में आ जाएंगे।” बाद में फिर उन्होंने घटना का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जिस तरह का आचरण, नीच आचरण, ऐसा आचरण जो हर भारतीय को दुख पहुंचाएगा, इस संस्था को शर्मसार करेगा। हम यहां निर्वाचित होकर उच्च सदन, बड़ों के सदन के सदस्य होने का गौरव प्राप्त करते हैं। यदि इस सदन में हम इस तरह का अभद्र व्यवहार करते हैं तो यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। बाद में शाम करीब छह बजे दिन भर के लिए स्थगित करने से पहले सदन ने धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा शुरू की। सोमवार सुबह 11 बजे राज्यसभा की दोबारा बैठक होगी। 

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