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Jan Gan Man: भ्रष्टाचारियों को नहीं मिल रही सजा, पूछताछ के बाद विक्ट्री साइन बना कर बाहर आते हैं भ्रष्ट नेता, Corruption Index में 180 देशों में भारत की रैंक 93 हुई

आप लोग टीवी पर अक्सर समाचार देखते होंगे कि ईडी की टीम ने इस नेता के यहां छापा मारा, उस नेता के यहां करोड़ों रुपए की नकदी बरामद की। आप देखते होंगे कि बरामद नकदी को गिनते गिनते नोट गिनने वाली मशीनें गर्म हो गयीं, आप देखते होंगे कि ईडी ने घंटों तक किसी नेता से पूछताछ की, आप देखते होंगे कि ईडी ने लंबी पूछताछ के बाद किसी नेता को गिरफ्तार कर लिया। आप यह भी समाचार अक्सर ही पढ़ते होंगे कि सीबीआई ने किसी घोटालेबाज का पर्दाफाश कर दिया। आप यह भी देखते होंगे कि आयकर छापों में करोड़ों रुपए की टैक्स चोरी का खुलासा हुआ। छापेमारी, पूछताछ और गिरफ्तारियों का यह सिलसिला दर्शाता है कि हमारी जांच एजेंसियां किसी भी भ्रष्टाचारी को बख्शने के मूड़ में नहीं हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि जब भ्रष्टाचार और अपराध के खिलाफ हमारी जांच एजेंसियां इतनी सक्रिय हैं तब किसी की हिम्मत कैसे पड़ जाती है भ्रष्टाचार करने की? इसका जवाब है कानून की खामियां। आप आंकड़े उठा कर देखेंगे तो पाएंगे कि बड़े से बड़े घोटालेबाज को आज तक कोई सजा नहीं हुई है इसीलिए भ्रष्टाचारियों का हौसला बढ़ा हुआ है। भ्रष्टाचारियों का हौसला कितना बढ़ा हुआ है इसकी बानगी तब भी देखने को मिलती है जब वह जांच एजेंसियों से घंटों की पूछताछ के बाद बाहर आते हैं। अंदर कमरे में जांच एजेंसियों को अपने घोटालों की सारी जानकारी देने के बाद भी नेता बड़ी बेशर्मी के साथ विक्टरी साइन बना कर बाहर आते हैं। नेता तो नेता जनता को देखिये जो इन भ्रष्टाचारियों के साथ सेल्फी लेने या उनकी जय जयकार करने के लिए घंटों जांच एजेंसियों के दफ्तर के बाहर खड़ी रहती है। नेता पूछताछ के बाद बाहर आ रहा हो या जेल जा रहा हो, वह अपने साथ ऐसा काफिला लेकर चलता है जैसे विश्व विजेता बन कर आया है। नेता जनता का पैसा खा रहा है मगर जनता सवाल नहीं कर रही तो उसका भ्रष्टाचार बढ़ रहा है। नेता को सजा नहीं हो रही तो भ्रष्टाचार करने का उसका हौसला और बढ़ता जा रहा है। भ्रष्टाचारियों का यह बढ़ता हौसला भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक में भारत को आगे बढ़ा रहा है।
हम आपको बता दें कि ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2023 के लिए भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक में भारत 180 देशों में 93वें स्थान पर है। इस सूचकांक में 0 से 100 तक मानदंड रखा गया है जिसमें 0 अत्यंत भ्रष्ट के लिए और 100 पूरी तरह स्वच्छ छवि के लिए इस्तेमाल किया जाता है। भारत का समग्र स्कोर 2023 में 39 था, वहीं 2022 में यह 40 था। 2022 में भारत का रैंक 85 था जोकि अब 93 पर आ गया है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत (39) के स्कोर में उतार-चढ़ाव इतना छोटा है कि किसी भी महत्वपूर्ण बदलाव पर कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है। रिपोर्ट में हालांकि कहा गया है कि गहन अध्ययन से पता चला है कि सरकारी अधिकारी अपनी आय बढ़ाने के एक तरीके के रूप में अक्सर भ्रष्टाचार का सहारा लेते हैं। यहां सरकारी अधिकारी से आशय सिर्फ सरकारी बाबुओं ही नहीं बल्कि सरकारी पदों पर बैठे नेताओं से भी है। भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (सीपीआई) में कहा गया है कि यह साल ऐसा एक और वर्ष होगा जिसमें भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की दिशा में कोई सार्थक प्रगति नहीं होगी।

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बहरहाल, ऐसे में सवाल यह है कि भ्रष्टाचार आखिर कम कैसे होगा या समाप्त कैसे होगा? जल्द ही लोकसभा चुनाव होने हैं और आप देखेंगे कि तमाम राजनीतिक दल अपने अपने लोक लुभावन घोषणापत्रों में एक ओर भ्रष्टाचार को मिटाने के वादे करेंगे वहीं दूसरी ओर भ्रष्ट आचरण से चुनाव जीतने का प्रयास भी करेंगे। ऐसे में यह सवाल भी उठता है कि क्या राजनीतिक दलों की नीयत वाकई भ्रष्टाचार को खत्म करने की है? यहां सवाल यह भी उठता है कि क्या भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाने का रास्ता हमारे राजनीतिक दल जानते भी हैं? इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और भारत के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि जब तक एक वर्ष के भीतर न्याय सुनिश्चित नहीं किया जायेगा और कानूनों में बदलाव कर भ्रष्टाचारियों को सख्त से सख्त सजा सुनिश्चित नहीं की जायेगी तब तक भ्रष्टाचार से मुक्ति मिलना मुश्किल है। 

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