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इंदिरा गांधी के ‘तीसरे बेटे’ कमलनाथ का कांग्रेस से क्यों हुआ मोहभंग, आखिर क्या है खटास की असली वजह

भारतीय जनता पार्टी में शामिल की अटकलों के बीच कांग्रेस नेता कमलनाथ शनिवार को दिल्ली पहुंचे। प्रभावशाली गांधी परिवार के बाद सबसे बड़े कांग्रेस नेताओं में से एक, मध्य प्रदेश के दिग्गज नेता ने फिलहाल पूरे मामले को लेकर चुप्पी साध रखी है। हालांकि, यह पूछे जाने पर कि क्या वह बीजेपी में शामिल हो रहे हैं, मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता कमल नाथ ने कहा कि आप सभी उत्साहित क्यों हो रहे हैं? यह इनकार करने के बारे में नहीं है। अगर ऐसा कुछ है तो मैं आप सभी को सूचित करूंगा।  इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने शामिल होने की खबरों को खारिज नहीं किया ना इनकार किया। यही कारण है कि कयास को बल मिल रहा है। 
 

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उनके बेटे नकुल नाथ, जिन्होंने हाल ही में पॉकेट बोरो छिंदवाड़ा से अपनी उम्मीदवारी की एकतरफा घोषणा की है, ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से ‘कांग्रेस’ शब्द हटा दिया है। ऐसे में सवाल उट रहा है कि आखिर इंदिरा गांधी के तीसरे बेटे के तौर पर देखे जाने वाले कमलनाथ का कांग्रेस से मोहभंग कैसे हो रहा है? कमलनाथ के करीबी सज्जन सिंह वर्मा ने संकेत दिया कि उनके बॉस का अपमान किया गया है. एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा कि नेता के आत्मसम्मान को ठेस पहुंची है। उन्होंने कहा कि राजनीति में तीन चीजें काम करती हैं- मान, अपमान और स्वाभिमान, जब इन पर चोट लगती है तो इंसान अपने फैसले बदल लेता है…जब ऐसा शीर्ष राजनेता जिसने पिछले 45 साल में कांग्रेस और देश के लिए बहुत कुछ किया हो, आगे बढ़ने की सोचता है अपनी पार्टी से दूर हैं तो इसके पीछे ये तीन फैक्टर काम करते हैं। 
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस आलाकमान द्वारा मध्य प्रदेश चुनाव में पार्टी की हार के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराए जाने के बाद से ही कमलनाथ भाजपा नेताओं के संपर्क में थे। उन्हें मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया और राज्य विधानसभा में विपक्ष का नेता भी नहीं बनाया गया। राज्यसभा उम्मीदवारी के लिए अशोक सिंह के नाम की घोषणा से भी कमलनाथ नाराज थे। सिंह को दिग्विजय सिंह का वफादार माना जाता है। कमलनाथ को राज्यसभा की चाहत थी। 

कमलनाथ की नाराजगी की एक और वजह बताई जा रही है। कमलनाथ अब 78 साल के हो गए हैं। वह राजनीति में कितने वर्षों तक सक्रिय रहेंगे, इसको लेकर भी सवाल है। फिलहाल भाजपा कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा को लेकर काफी एग्रेसिव है। छिंदवाड़ा से उनके बेटे नकुलनाथ सांसद हैं। छिंदवाड़ा में कमलनाथ का घेराव करने के लिए कैलाश विजयवर्गीय जैसे बड़े नेता को भाजपा ने प्रभार दे दिया है। 2023 के विधानसभा चुनाव में छिंदवाड़ा के सात सीटों पर कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस को जीत तो मिल गई लेकिन अंतर बहुत कम हो गया। ऐसे में कमलनाथ अपने बेटे नकुलनाथ के भविष्य को लेकर चिंतित है। कांग्रेस की वर्तमान स्थिति को देखते हुए वह अपने बेटे को भाजपा में सेट करने की कोशिश में हैं। इससे उनका गढ़ छिंदवाड़ा का किला भी बच जाएगा और नकुलनाथ के लिए आगे की राजनीति आसान भी रह सकती हैं। 

कमलनाथ को गांधी नेहरू परिवार का काफी करीबी बताया जाता है। कमलनाथ राजनीति में संजय गांधी के साथ ही आए थे। संजय गांधी और कमलनाथ दोनों बचपन के दोस्त थे और दून स्कूल में साथ में पढ़ाई की थी। संजय गांधी की दोस्ती के कारण ही उन्होंने 1968 में राजनीति की शुरुआत की। आपातकाल के दौरान संजय गांधी ने युवाओं की जो टीम बनाई थी उसमें कमलनाथ का भी बड़ा रोल था। कानपुर के होने के बावजूद भी कमलनाथ ने छिंदवाड़ा से चुनाव जीता। यह इंदिरा गांधी का ही भरोसा था। उन्होंने छिंदवाड़ा में प्रचार के दौरान ही राजीव गांधी और संजय गांधी के बाद कमलनाथ को अपना तीसरा बेटा बताया था।
 

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इस बीच, कांग्रेस पार्टी ने कमलनाथ को इंदिरा गांधी का तीसरा बेटा कहकर शांत करने की कोशिश की। मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जीतू पटवारी ने शनिवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कमलनाथ को अपना तीसरा बेटा बताया था और उन अटकलों को खारिज कर दिया कि पार्टी के वरिष्ठ नेता कांग्रेस छोड़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो सकते हैं। पटवारी ने संवाददाताओं से कहा, क्या आप इंदिरा जी के तीसरे बेटे के भाजपा में शामिल होने का सपना देख सकते हैं? उन्होंने कहा कि कमलनाथ बुरे दौर में कांग्रेस के पीछे चट्टान की तरह खड़े रहे जब ज्योतिरादित्य सिंधिया के मार्च 2020 में भाजपा में शामिल होने के बाद उनके (कमलनाथ के) नेतृत्व वाली सरकार गिर गई थी। उन्होंने कहा कि पहली बार जब कमल नाथ ने चुनाव लड़ा था, तब इंदिरा गांधी ने कहा था कि कमल नाथ उनके तीसरे बेटे हैं। 

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