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Shashi Tharoor के पीछे क्यों पड़ी है पूरी Congress? मोदी की तारीफ करने पर इतनी बड़ी सजा क्यों दी जा रही है?

कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ चुके पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर पार्टी में खुद को किनारे किये जाने से बेहद निराश हैं। उनकी शिकायत है कि संसद में उन्हें महत्वपूर्ण मुद्दों पर पार्टी की ओर से बोलने का अवसर नहीं दिया जाता। शशि थरूर की शिकायत है कि कांग्रेस के महत्वपूर्ण निर्णयों में उन्हें भागीदार नहीं बनाया जाता। 2009 से लगातार लोकसभा चुनाव जीत रहे शशि थरूर की शिकायत है कि उनकी वरिष्ठता का पार्टी में सम्मान नहीं किया जाता। जिस तरह से केरल कांग्रेस के कई नेता उन्हें अक्सर नीचा दिखाते हैं। यही नहीं, जिस तरह से राष्ट्र से जुड़े मुद्दों पर पार्टी हित से ऊपर उठकर बोलने पर उन्हें पार्टी नेताओं की ओर से ही ट्रोल कर दिया जाता है उससे शशि थरूर बेहद खिन्न हैं। उन्होंने अपनी शिकायतों का पिटारा लेकर राहुल गांधी से मुलाकात की। लेकिन राहुल गांधी भी उनकी शिकायतों का समाधान निकालने और उनके लिए कोई भूमिका तय कर पाने का आश्वासन देने में नाकाम रहे।
हालांकि कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य और सांसद शशि थरूर ने इस मुलाकात के बाद कहा है कि 18 फरवरी को नयी दिल्ली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ उनकी ‘बहुत सार्थक बातचीत’ हुई। इस मुलाकात के बारे में मीडिया से बातचीत में शशि थरूर ने कहा है कि आधे घंटे की बातचीत के दौरान वह कुछ प्रमुख मुद्दों पर बात कर पाए। बार-बार पूछे जाने पर तिरुवनंतपुरम से लोकसभा सदस्य शशि थरूर ने कहा कि वह बंद कमरे में हुई इस मुलाकात के बारे में और जानकारी नहीं दे सकते। उन्होंने कहा कि आने वाले चुनावों या केरल में नेताओं की भूमिका के बारे में कोई चर्चा नहीं हुई।

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हम आपको बता दें कि शशि थरूर की ओर से केरल की वाममोर्चा सरकार की तारीफ वाले एक हालिया आलेख को लेकर इन दिनों केरल की राजनीति गर्माई हुई है। हालांकि शशि थरूर का कहना है कि एक अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्र में उनके आलेख के आधार पर एक मुद्दे को लेकर बहुत ज्यादा बवाल मचाया जा रहा है। अपने आलेख को लेकर केरल में कांग्रेस नेताओं की ओर से लगातार आलोचना के बारे में पूछे जाने पर थरूर ने कहा कि वह विवाद का कारण नहीं समझ पा रहे हैं। उन्होंने कहा, “राज्य के किसी भी नेता के साथ मेरा कोई विवाद नहीं है। अगर उनके पास कोई मुद्दा है तो उन्हें तय करने दें कि उसका समाधान हुआ है या नहीं।” यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी में उन्हें दरकिनार किए जाने की शिकायत की है, तो थरूर ने कहा, “मैंने कभी किसी के खिलाफ कोई शिकायत नहीं की।” उन्होंने कहा कि निवेश-अनुकूल नीतियों और स्टार्टअप कार्यक्रमों के लिए अपने आलेख में केरल में वाम मोर्चा सरकार की प्रशंसा को लेकर विवाद ने ‘कुछ अच्छा किया’ क्योंकि इससे इस मुद्दे पर चर्चा की गुंजाइश पैदा हुई।
हम आपको बता दें कि शशि थरूर के आलेख को लेकर कांग्रेस पार्टी के तमाम नेता और पार्टी के मुखपत्र ने मिलकर शशि थरूर को बुरी तरह से घेर लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात की तारीफ करने वाले शशि थरूर के बयान से कांग्रेस नेता नाराज ही थे कि थरूर ने उसी दौरान अपने आलेख में वाममोर्चा सरकार की तारीफों के पुल बांध दिये। इससे कांग्रेस की राज्य इकाई और केंद्रीय इकाई के नेता संयम खो बैठे। केरल कांग्रेस के नेता और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने कहा है कि उन्होंने एक ऐसे मुद्दे पर सरकार का समर्थन करते हुए लेख लिखा जिस पर हम सक्रिय रूप से बहस कर रहे हैं। सतीशन ने कहा कि कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य के रूप में, थरूर को सलाह देना या सुधारना पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व पर निर्भर है। इस मुद्दे पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने कहा है कि पार्टी ने इस मामले पर थरूर से बात की है और उन्होंने उन्हें बताया है कि अगर राज्य के उद्यमशीलता विकास पर सटीक आंकड़े उपलब्ध हों, तो वे अपने रुख पर पुनर्विचार करेंगे। केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) प्रमुख के. सुधाकरन ने भी इस मुद्दे पर कहा है कि उन्होंने तिरुवनंतपुरम के सांसद से सीधे बात की थी और उन्हें ‘‘अच्छी सलाह’’ दी थी। सुधाकरन ने कासरगोड में कहा था, ‘‘हर किसी की व्यक्तिगत राय हो सकती है, लेकिन पार्टी अपना आधिकारिक रुख तय करती है।’’ 
हम आपको यह भी बता दें कि केरल में कांग्रेस पार्टी के मुखपत्र ‘वीक्षणम डेली’ ने शशि थरूर की आलोचना करते हुए एक संपादकीय प्रकाशित किया। संपादकीय में थरूर का नाम लिए बिना ही राज्य की वामपंथी सरकार में उद्यमशीलता के विकास की प्रशंसा करने के लिए उन पर निशाना साधा गया है। आलेख में उनसे कहा गया कि वह आगामी स्थानीय निकाय चुनावों से पहले हजारों पार्टी कार्यकर्ताओं की उम्मीदों को न तोड़ें। कड़े शब्दों में लिखे गए संपादकीय में कहा गया कि राज्य में सत्ता विरोधी लहर व्याप्त है और इसे बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार लोगों द्वारा इसे दबाने का प्रयास एक ‘विकृत’ राजनीतिक आचरण है।
संपादकीय में चेतावनी दी गई है कि यदि कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूडीएफ अनुकूल परिस्थितियों के बावजूद स्थानीय निकाय चुनाव जीतने में विफल रही, तो यह विपक्षी मोर्चे के लिए एक बड़ा झटका होगा। ‘अहिंसा अवार्ड फॉर द एक्सिक्यूशनर’ शीर्षक से प्रकाशित संपादकीय में आगे तर्क दिया गया है कि जब कांग्रेस विधानसभा के अंदर और बाहर एलडीएफ सरकार की कमियों का सक्रिय रूप से विरोध कर रही है, तो पार्टी को अंदर से कमजोर करना ‘आत्मघाती’ होगा। लेख में आरोप लगाया गया कि सत्तारुढ़ माकपा ने ही केरल को उद्योगों का ‘कब्रिस्तान’ बना दिया था। इसमें आगे लिखा गया कि औद्योगिक विकास के नाम पर वामपंथी सरकार का हवाला देना हास्यास्पद है। इसमें कहा गया है कि राज्य ने आर शंकर, सी अच्युत मेनन, के करुणाकरण, ए के एंटनी और ओमन चांडी जैसे पूर्व मुख्यमंत्रियों के शासन के दौरान आधुनिक और महत्वपूर्ण औद्योगिक प्रतिष्ठानों के विकास को देखा है। मुखपत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हालिया अमेरिका यात्रा को लेकर थरूर के सकारात्मक बयान की भी आलोचना की गई है। इसमें लिखा गया कि मोदी का राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को गले लगाना और व्यापार-सैन्य संधियों में आश्वासन प्राप्त करना कोई ‘महान बात’ नहीं है। संपादकीय ने इस घटनाक्रम को दोनों नेताओं के उनकी छवि को चमकाने वाला कदम बताया है।
उधर, अपने लेख में केरल में वाम मोर्चा सरकार की निवेश-अनुकूल नीतियों और स्टार्टअप कार्यक्रमों की प्रशंसा करने के लिए माकपा ने उनका स्वागत किया है। कांग्रेस द्वारा थरूर के आलेख के आधार पर सवाल उठाए जाने के बाद माकपा ने उनका बचाव करते हुए कहा है कि थरूर ने केवल तथ्य बताए हैं। बहरहाल, देखना होगा कि खुद को अलग थलग महसूस कर रहे शशि थरूर क्या पाला बदलते हैं? यदि ऐसा होता है तो यह केरल में कांग्रेस के लिए बड़ा झटका हो सकता है।

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