एक सप्ताह से अधिक समय तक अरब सागर में उथल-पुथल मचाने के बाद चक्रवात बिपरजॉय ने 15 जून को उत्तर-पश्चिमी भारत और दक्षिणी पाकिस्तान के तट पर दस्तक दी। धीमी गति से उत्तर की ओर बढ़ते हुए चक्रवाती तूफान ने समुद्र में आठ दिन बिताए। बिपारजॉय इस बात का उदाहरण है कि कैसे जलवायु परिवर्तन विशेष रूप से ऊपरी महासागर में वार्मिंग धीमी गति से और लंबे समय तक चलने वाले चक्रवातों में योगदान दे रहा है। भारत मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने अरब सागर के बड़े समुद्री सतह क्षेत्र के लिए चक्रवात बिपरजॉय के लंबी अविधि को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना है कि बंगाल की खाड़ी की तुलना में अरब सागर का क्षेत्रफल बड़ा है और इसलिए चक्रवात लंबे होते हैं।
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2019 में भी अरब सागर में सुपर साइक्लोन क्यार आया था जो नौ दिन 15 घंटे तक चला था। बिपार्जॉय की अवधि लगभग 11 दिनों की बताई जा रही है, लेकिन यह असामान्य नहीं है। उन्होंने कहा कि बिपार्जॉय की गति वास्तव में धीमी थी और इसलिए यह लंबे समय तक चली। महापात्रा ने कहा कि कई कारक चक्रवात की तीव्रता को प्रभावित करते हैं। आम तौर पर, अरब सागर का पूर्वी हिस्सा अधिक गर्म होता है और इसलिए पर्याप्त गर्मी और नमी के कारण चक्रवात लंबे समय तक बना रहता है।
असामान्य रूप से गर्म समुद्र
भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान में जलवायु वैज्ञानिक रॉक्सी मैथ्यू कोल ने कहा कि अरब सागर में समुद्र की सतह का तापमान पिछले एक सप्ताह में 31 से 32 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा है, जो औसत से दो से चार डिग्री सेल्सियस अधिक है। नासा की अर्थ ऑब्जर्वेटरी द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, तापमान में यह वृद्धि समुद्र में कम दबाव वाले क्षेत्र को बनाए रखने में मदद करती है, जिसने चक्रवात बिपारजॉय को और तेज कर दिया।
पिछले 10 वर्षों में इन तूफानों ने मचाया कहर
भारत का तटीय इलाका करीब 7,516 किलोमीटर का है। 9 तटीय राज्यों में करीब 32 करोड़ लोग रहते हैं। आंकड़ों के मुताबिक, हर साल औसतन पांच से छह चक्रवात बनते हैं। पिछले 10 वर्षों में कई बड़े तूफानों ने कहर मचाया है:
चक्रवात तुकाते (2021): यह तूफान 17 मई, 2021 को गुजरात के दक्षिणी तट से टकराया था। तब 185 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चली थीं। इस दौरान करीब 100 से ज्यादा जाने गई थीं। गुजरात के अलावा केरल, कर्नाटक, गोवा और महाराष्ट्र में इसका असर दिखा था।
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चक्रवात अम्फान (2020): 1999 में ओडिशा में आए सुपर साइक्लोन के बाद बंगाल की खाड़ी में यह पहला सुपर साइक्लोन था। 20 मई, 2020 को यह पश्चिम बंगाल में सुंदरबन के पास टकराया। भारत और बांग्लादेश में इससे 129 लोगों की जान गई थी। इससे निपटने पर ओडिशा सरकार की तारीफ भी हुई थी।
चक्रवात फानी (2019): फानी ने 3 मई, •2019 को ओडिशा में पुरी के पास 175 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से दस्तक दी। इस तूफान ने 64 लोगों की जान ले ली और घरों, बिजली लाइनों, कम्युनिकेशन नेटवर्क समेत बुनियादी ढांचे को काफी नुकसान पहुंचाया।
चक्रवात वरदा (2016): वरदा ने 12 दिसंबर, 2016 को चेन्नै के पास टकराया था। इसने तमिलनाडु में 18 लोगों की जान ले थी। चेन्नै और इसके पड़ोसी इलाकों में काफी नुकसान पहुंचा था। समय पर मिली चेतावनी और सुरक्षा उपायों के चले लोगों को निकाला गया था।
चक्रवात हुदहुद (2014): यह 12 अक्टूबर, 2014 को आंध्र प्रदेश और ओडिशा के तटीय क्षेत्रों से टकराया था। इस दौरान लगभग 124 लोगों की जान गई। विशाखापत्तनम और आस-पास के इलाकों में भारी बारिश, तेज हवाओं और लहरों का कहर बरपा था।
चक्रवात फैलिन (2013): 12 अक्टूबर, 2013 को यह चक्रवात ओडिशा के गंजम जिले से टकराया था। लगभग 200 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चली थी। राज्य के 18 जिलो में लगभग एक करोड़ 3 लाख से ज्यादा लोगों पर असर पड़ा। 44 से ज्यादा जानें गई थी।