जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद वहां के हालात में तो अभूतपूर्व सुधार आया ही साथ ही इसका एक और बड़ा लाभ देश के लिए यह हुआ है कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने ‘‘बच्चों की बेहतर सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों’’ का हवाला देते हुए बच्चों पर सशस्त्र संघर्ष के प्रभाव को लेकर अपनी वार्षिक रिपोर्ट से भारत का नाम हटा दिया है। उल्लेखनीय है कि कश्मीर में खराब हालात के दौर में आतंकवादियों और अलगाववादियों द्वारा बच्चों और युवाओं को फुसला कर उन्हें गलत राह पर धकेला जाता था और जब सुरक्षा बल उन पर कार्रवाई करते थे तो उसे एक वर्ग अत्याचार के रूप में प्रस्तुत करता था। लेकिन आज कश्मीर में हालात पूरी तरह सामान्य हैं। बच्चे स्कूल-कॉलेज जा रहे हैं, युवा सरकारी या निजी नौकरी कर रहे हैं, सेना में भर्ती हो रहे हैं या स्वरोजगार के अवसरों का लाभ उठा रहे हैं। पत्थरबाजी कश्मीर के लिए बीते समय की बात हो चुकी है और आतंकवाद की कमर भी लगभग टूट चुकी है। इसके अलावा, आज किसी अलगाववादी में इतनी हिम्मत नहीं बची है कि वह युवाओं को बरगलाये।
क्यों होता था यूएन रिपोर्ट में भारत का उल्लेख?
जहां तक संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट की बात है तो हम आपको बता दें कि बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर साल 2010 से यूएन महासचिव की रिपोर्ट में भारत का उल्लेख बुर्किना फासो, कैमरून, लेक चाड बेसिन, नाइजीरिया, पाकिस्तान और फिलीपींस तथा अन्य देशों के साथ किया जा रहा था। हालांकि गुतारेस ने पिछले साल अपनी रिपोर्ट में कहा था कि उन्होंने अपने विशेष प्रतिनिधि के साथ भारत सरकार की भागीदारी का स्वागत किया है और भविष्य में भारत का नाम रिपोर्ट से हटाया जा सकता है।
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संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने क्या कहा
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर अपनी 2023 की रिपोर्ट में कहा, ‘‘बच्चों की बेहतर सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को देखते हुए, भारत का नाम 2023 की रिपोर्ट से हटा दिया गया है।” गुतारेस ने जुलाई 2022 में बाल संरक्षण के लिए सहयोग के क्षेत्रों की पहचान करने के वास्ते अपने विशेष प्रतिनिधि के कार्यालय के तकनीकी मिशन और संयुक्त राष्ट्र की भागीदारी के साथ सरकार द्वारा पिछले सात नवंबर में जम्मू-कश्मीर में बाल संरक्षण को मजबूत करने के संबंध में आयोजित कार्यशाला पर प्रकाश डाला। अपनी हालिया रिपोर्ट में उन्होंने भारत से अपने विशेष प्रतिनिधि और संयुक्त राष्ट्र के परामर्श के अनुसार शेष उपायों को लागू करने का भी आह्वान किया। गुतारेस ने कहा कि इनमें बाल संरक्षण को लेकर सशस्त्र तथा सुरक्षा बलों का प्रशिक्षण, बच्चों पर घातक तथा अन्य बल प्रयोग पर प्रतिबंध, ‘पैलेट गन’ का इस्तेमाल बंद करना और यह सुनिश्चित करना शामिल है कि कोई रास्ता न रह जाने पर ही और कम से कम अवधि के लिए बच्चों को हिरासत में लिया जाए। उन्होंने हिरासत में हर प्रकार के दुर्व्यवहार को रोकने के उपायों के कार्यान्वयन और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल व संरक्षण) अधिनियम तथा यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम के पूर्ण कार्यान्वयन पर भी जोर दिया।
वहीं, बच्चों एवं सशस्त्र संघर्ष पर महासचिव की विशेष प्रतिनिधि वर्जीनिया गाम्बा ने पत्रकारों से कहा कि पिछले दो वर्षों से करीबी सहयोग से ‘‘हम भारत के साथ काम कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत ने इससे निपटने के लिए एक कार्यक्रम शुरू करने का फैसला किया है।’’ उन्होंने कहा कि देश ने इस बात के संकेत दिए हैं कि वह इस दिशा में काम करने और ऐसे कदम उठाने को तैयार है, जो लंबे समय तक कारगर साबित होंगे। इसलिए ही भारत का नाम इस रिपोर्ट से हटाने की अनुमति मिली है।
भारत सरकार की प्रतिक्रिया
इस बीच, बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर संयुक्त राष्ट्र की वार्षिक रिपोर्ट से भारत का नाम हटाए जाने के बाद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा बच्चों की बेहतर सुरक्षा के लिए किये गए प्रयासों के परिणामस्वरूप यह संभव हो सका है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘केंद्र सरकार द्वारा बच्चों की बेहतर सुरक्षा के लिए किये गए प्रयासों के परिणामस्वरूप अब बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर जारी संयुक्त राष्ट्र महासचिव की रिपोर्ट में भारत का नाम हटा दिया गया है।’’ इसमें कहा गया कि नवंबर 2021 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव इंदीवर पांडे की विदेश मंत्रालय, न्यूयॉर्क में भारत के स्थायी मिशन व भारत सरकार के गृह मंत्रालय तथा बच्चों के लिए महासचिव की विशेष प्रतिनिधि वर्जीनिया गैम्बा और नई दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों के साथ एक अंतर-मंत्रालयी बैठक हुई। बयान में कहा गया, ‘‘इसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष प्रतिनिधि (एसआरएसजी) के साथ जारी भारत सरकार की गतिविधियों में और तेजी आई थी।’’ इसके तहत बच्चों की सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से प्राथमिकता वाले राष्ट्रीय कार्रवाईयों की पहचान करने के लिए एक राष्ट्रीय केंद्र इकाई नियुक्त करने, बाल संरक्षण के लिए बढ़े हुए सहयोग के क्षेत्रों की पहचान करने के वास्ते संयुक्त राष्ट्र के साथ अंतर-मंत्रालयी और तकनीकी स्तर की बैठकें आयोजित करने के लक्ष्य के साथ संयुक्त तकनीकी मिशन पर एक समझौता किया गया। बयान में कहा गया कि केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी के मार्गदर्शन और नेतृत्व में उनके मंत्रालय द्वारा बाल संरक्षण के मुद्दों पर सहयोग के लिए एक खाका तैयार किया गया था।