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Andhra Pradesh Assembly Elections: क्या आंध्र प्रदेश में TDP की टूटती सांस को फिर मिलेगा सहारा, समझिए समीकरण

तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू आंध्र प्रदेश की सत्ता पर काफी समय काबिज रहे थे। कांग्रेस के वर्चस्व को खत्म करने के लिए फिल्म अभिनेता से नेता बने एनटी रामाराव ने इस पार्टी का गठन किया था। आंध्र प्रदेश की राजनीति में 29 मार्च 1982 एनटी रामाराव ने टीडीपी की स्थापना कर राजनीति में कदम रखा था। उस दौरान रामाराव तेलुगु सिनेमा के सफल और लोकप्रिय अभिनेता थे।
साल 1983 टीडीपी के गठन के एक साल बाद प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए, तो एनटी रामाराव के नेतृत्व में पार्टी को जीत मिली। एनटी रामाराव राज्य के 10वें सीएम बने। फिर साल 1983 से 1994 तक वह तीन बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। जब राज्य में रामाराव की सरकार गिराने का प्रयास किया तो चंद्रबाबू नायडू ने गैर कांग्रेसी ताकतों को एकत्र कर NTR की सरकार को बचाया था। जिसके बाद साल 1984 में रामाराव एक बार फिर सीएम बनें।

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साल 1994 में जब टीडीपी फिर सत्ता में आई तो रामाराव 9 महीने के लिए सीएम बन पाए, जिसके बाद उनके दामाद नाय़डू ने साल 1995 में पार्टी नेताओं के साथ मिलकर रामाराव को सीएम और पार्टी अध्यक्ष पद से बेदखल कर दिया और खुद सत्ता पर काबिज हो गए। कांग्रेस के साथ चंद्रबाबू नायडू का खड़े होना लोगों को अचरज भरा लग रहा है। बता दें कि साल 1978 में नायडू ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत कांग्रेस से की थी।
साल 1982 में जब रामाराव ने टीडीपी बनाया तो नायडू उनके साथ नहीं थे। 2014 में आंध्र प्रदेश के दो हिस्से हो जाने के बाद नायडू ने पीएम मोदी से हाथ मिलाया। 2019 के चुनाव में पार्टी सत्ता से बेदखल हो गए। वहीं नाय़डू पर भ्रष्टाचार का भी आरोप लगाया गया। बताया जा रहा कि प्रदेश में टीडीपी 17 लोकसभा और 144 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। 

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