सामाजिक कार्यकर्ता किरण वर्मा के लिए यह दूसरा विश्व रक्तदान दिवस होगा जब वह हाथ में रक्तदान की अपील वाली तख्ती लिए सड़क पर यात्रा करते नजर आएंगे। दिल्ली के रहने वाले वर्मा फिलहाल मालदा से हिमालय की तलहटी में बसे पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी जा रहे हैं।
उनका लक्ष्य रक्तदान के बारे में अधिक से अधिक जागरुकता फैलाने के लिए 21,000 किलोमीटर की यात्रा करना है।
सिलिगुड़ी जा रहे वर्मा राजमार्ग के किनारे एक ढाबे में रात्रिभोजन के लिए रुके। इस दौरान उन्होंने फोन पर ‘पीटीआई-से कहा, ‘‘हम इस बारे में संतुष्ट नहीं हो सकते हैं। भारत में प्रतिदिन 12,000 से अधिक लोगों को जरूरत के समय रक्त नहीं मिल पाता। समय पर रक्त न मिल पाने की वजह से देश में 30 लाख से अधिक लोगों ने जान गंवाई है।
कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान यह सच और कठोर रूप में सामने आया क्योंकि लगभग हर व्यक्ति प्लाज्मा संकट से गुजरा। रक्तदान करने के बारे में डर से हमें तुरंत बाहर आना चाहिए।’’
वर्मा ने कहा कि उन्होंने अपने जीवन के कुछ साल इस विचार में बदलाव लाने के उद्देश्य से समर्पित करने का फैसला किया है क्योंकि भारतीयों में रक्तदान करने की संस्कृति नहीं है।
उन्होंने 28 दिसंबर, 2021 को तिरुवनंतपुरम से अपनी वर्तमान यात्रा शुरू की। 2018 में भी वर्मा ने पूरे भारत में 16,000 किलोमीटर की यात्रा की, जिसमें 6,000 किलोमीटर से अधिक दूरी में उन्होंने पैदल चलकर लोगों को रक्तदान करने के लिए प्रेरित किया।
वर्मा ने कहा, ‘‘2017 के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत को सालाना 1.5 करोड़ यूनिट रक्त की आवश्यकता होती है।
इसके बाद कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है। यह भी बताया जाता है कि भारत सालाना 1-1.1 करोड़ यूनिट रक्त प्राप्त करने का प्रबंधन करता है। इसलिए, मैं यात्रा कर रहा हूं और उन 50 लाख लोगों का ध्यान आकर्षित करने की उम्मीद करता हूं, जो जीवन और मृत्यु के बीच एक बड़ा अंतर लाएंगे।’’
उनकी कहानी कुछ इस प्रकार है : दिसंबर 2016 को रायपुर के एक गरीब परिवार को रक्त की सख्त जरूरत होने का पता चलने पर वर्मा ने रक्तदान किया। रक्तदान करने के बाद जब वह परिवार से मिलने गए तो पता चला कि उन्हें फोन करने वाले ने उनके द्वारा मुफ्त में दिए गए रक्त के बदले, जरूरतमंद परिवार से 1500 रुपये लिए थे।
वर्मा ने कहा, ‘‘मुझे इस बात से बहुत धक्का लगा। मैं नहीं भूल सकता कि वह परिवार किस हद तक परेशान था। इसलिए, मैंने ‘सिंपली ब्लड’ की शुरुआत की।
मेरा उद्देश्य सरल है: भारत में खून की कमी के कारण किसी की मौत नहीं होनी चाहिए।’’
वर्मा के अनुसार, ‘सिंपली ब्लड’ रक्तदान करने वालों और रक्त के जरूरतमंदों के बीच संपर्क बनाने का एक ऑनलाइन मंच है। इसकी शुरुआत 29 जनवरी, 2017 को हुई थी और इसने रक्तदान के कारण अब तक 35,000 लोगों की जान बचाई है।
वर्मा ने कहा कि लेकिन कोविड-19 ने कई जटिलताएं खड़ी कीं। उन्होंने कहा, ‘‘भारत में पिछले तीन वर्षों में स्वैच्छिक रक्तदान में काफी कमी आई है। इसलिए, मैंने लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए पैदल यात्रा का फैसला किया।’’
अपने मिशन की समय सीमा को पूरा करने के लिए अपने प्रयासों में फिर से जान डालने के उद्देश्य से लंबी पदयात्रा कर रहे वर्मा ने कहा कि 31 दिसंबर, 2025 तक उन्हें उम्मीद है कि वे पर्याप्त लोगों को सहमत कर पाएंगे ताकि भारत को जरूरत के अनुसार खून मिल सके।
इस बार उन्होंने देश भर में पैदल यात्रा का फैसला किया है।उन्होंने कहा, ‘‘अब तक मैं 17 महीनों में केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, दादरा नगर और दमन और दीव, गुजरात, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल सहित 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 176 जिलों में 13,400 किलोमीटर से अधिक चल चुका हूं।’’
वर्मा ने कहा कि लगभग एक महीने के लिए उन्होंने यात्रा से केवल एक बार विराम लिया था क्योंकि उन्हें थाईलैंड, वियतनाम, सिंगापुर, मलेशिया, इंडोनेशिया और बांग्लादेश जैसे देशों का दौरा करना था, जहां उन्हें रक्तदान को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों के बारे में बात करने के लिए आमंत्रित किया गया था।
भारत में उनकी रणनीति सरल है। स्थलचिह्न और मंदिर जैसे किसी ऐसे स्थान पर जाएं जहां लोग बड़ी संख्या में आते हैं, और वहां तख्ती के साथ तब तक खड़े रहें जब तक कि लोगों का ध्यान आकर्षित न हो जाए। वर्मा ने कहा, ‘‘मेरा सबसे बड़ा पल 2020 में अहमदाबाद में आखिरी आईपीएल क्रिकेट मैच था, जहां मैं एक बार में लाखों लोगों का ध्यान आकर्षित कर सका।’’
वर्मा की कोशिश रंग लाती है।उन्होंने बताया कि अब तक देश के विभिन्न भागों में 107 रक्त दान शिविर लगाए गए हैं जिनके माध्यम से 22,640 यूनिट रक्त एकत्र किया गया है। उन्होंने बताया कि उनके अभियान को समर्थन देते हुए 7,000 से अधिक लोगों ने रक्तदान किया है।