Breaking News

Yogi Govt का बड़ा फैसला, कृत्रिम अंगों की सूची में शामिल हुआ ऑक्सीजन कंसनट्रेटर

योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (चिकित्सा परिचर्या) नियमावली 2011 में संशोधन करते हुए कृत्रिम अंगों की सूची में ऑक्सीजन कंसनट्रेटर को भी शामिल कर लिया है। अब प्रदेश के सेवारत एवं सेवानिवृत अधिकारी/कर्मचारी यदि स्वास्थ्य कारणों से आवश्यक्ता पड़ती है तो ऑक्सीजन कंसनट्रेटर/सीपैप/बाईपैप खरीदकर उसकी प्रतिपूर्ति (रिइंबर्समेंट) का दावा कर सकेंगे। प्रदेश सरकार नियमों के तहत इसकी प्रतिपूर्ति करेगी। उल्लेखनीय है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश भर में ऑक्सीजन संकट ने जिस तरह लोगों और सरकार को प्रभावित किया, उसे देखते हुए प्रदेश की योगी सरकार ने किसी भी विषम परिस्थिति में ऑक्सीजन की कमी न हो इसको लेकर गंभीरता से प्रयास किए हैं। अस्पतालों में नए ऑक्सीजन प्लांट बनाए गए तो इमरजेंसी में कई कंपनियों को अपने प्लांट को ऑक्सीजन प्लांट में बदलने की अनुमति दी गई। इसके साथ ही कृत्रिम तरह से ऑक्सीजन बनाने वाले ऑक्सीजन कंसनट्रेटर समेत कई संबंधित यंत्रों की भी बड़ी मात्रा में खरीद की गई। इसी क्रम में अब सरकार ने गंभीर रोगियों को ऑक्सीजन कंसनट्रेटर की आवश्यक्ता होने पर इसकी प्रतिपूर्ति का निर्णय लिया है और इस संबंध में गाइडलाइंस भी जारी की गई हैं।  
 

इसे भी पढ़ें: Uttar Pradesh: भाजपा नेताओं की फोटो के साथ छेडछाड कर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने वाला गिरफ्तार

सीएमओ की अध्यक्षता में समिति करेगी आवेदन पर विचार 
ऑक्सीजन कंसनट्रेटर खरीदने और इसकी प्रतिपूर्ति के संबंध में जो गाइडलाइंस दी गई है। उसके अनुसार निर्धारित आवेदन प्रारूप में संबंधित चिकित्सक द्वारा अनुमोदित दावों पर ही विचार किया जाएगा। इसके साथ ही मूल जांचों की रिपोर्ट भी आवेदन के साथ संलग्न की जाएगी। इसमें ऑक्सीजन कंसनट्रेटर एवं बाई लेवल वेंटीलेटर्स सप्लायर्स सिस्टम के लिए रोगी के स्टेबल दशा में कमरे की हवा में ली गई धमनियों की ब्लड गैस रिपोर्ट देनी होगी। साथ ही सीपैप और बाई लेवल सीपैप के लिए विस्तृत इन लैब लेवल-1 पॉलीसोम्नोग्रॉफी रिपोर्ट भी देनी होगी। इन मशीनों की स्वीकृति सीएमओ की अध्यक्षता में समिति द्वारा की जाएगी। सीएमओ के अलावा इसमें सीएमओ द्वारा नामित दो श्वास/फुफ्फुस रोग विशेषज्ञ (रेसपेरेटरी एंड पल्मोनरी एक्सपर्ट्स)बतौर सदस्य शामिल होंगे। 
5 वर्ष बाद हो सकेगा मशीनों का रिप्लेसमेंट 
शासन ने माना है कि ये सभी उपकरण जीवनरक्षक यंत्र हैं और 5 वर्ष की अधिकतम आयु रखते हैं। इसलिए इन्हें 5 वर्ष के बाद सर्विस इंजीनियर के द्वारा पूर्व यंत्र की मरम्मत न हो पाने के प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने पर प्रतिस्थापित (रिप्लेस) किया जा सकेगा। लाभार्थी को इन 5 वर्षों में समान प्रकार के यंत्र की प्रतिपूर्ति न लिए जाने के संबंध में अंडरटेकिंग भी देनी होगी। संबंधित यंत्र की उपयोगिता समाप्त होने के बाद लाभार्थी को इसे जनपद के सीएमओ के पास जमा करना होगा। संबंधित सीएमओ इसे महानिदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा मुख्यालय पर जमा कराना सुनिश्चित करेंगे। इस यंत्र को किसी अन्य रोगी को जारी नहीं किया जाएगा। ऐसे सभी संयंत्रों का पूरा लेखा जोखा महानिदेशालय द्वारा रखा जाएगा। 
50 हजार से 1.20 लाख तक के दावों की होगी प्रतिपूर्ति
शासन द्वारा प्रतिपूर्ति की अधिकतम सीमा भी निर्धारित की गई है। इसके अनुसार ऑक्सीजन कंसनट्रेटर के लिए 60 हजार, सीपैप के लिए 50 हजार, बाई लेवल सीपैप के लिए 80 हजार और बाई लेवल वेंटीलेटरी सिस्टम के लिए 1.20 लाख तक की प्रतिपूर्ति की जा सकेगी। इसमें 5 वर्ष के लिए यंत्र की मरम्मत और स्पेयर पार्ट्स की कीमत सम्मिलित रहेगी। मरम्मत और पुर्जों की कीमत के लिए अलग से कोई दावा मान्य नहीं होगा। 5 वर्ष के बाद यंत्र प्रतिस्थापना के लिए वही प्रक्रिया लागू होगी जो पहले यंत्र के अनुमोदन के लिए निर्धारित की गई है।

Loading

Back
Messenger