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‘आप मुसलमानों के दुश्मन, यह विधेयक उसका सबूत’, Waqf Bill को लेकर BJP पर बरसे असदुद्दीन ओवैसी

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने आज कहा कि वक्फ (संशोधन) विधेयक पेश किया जाना संविधान के मूल ढांचे पर “गंभीर हमला” है। लोकसभा में बोलते हुए उन्होंने कहा कि यह न्यायिक स्वतंत्रता और शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन करता है। ओवैसी ने यह भी दावा किया कि सदन के पास संशोधन करने की क्षमता नहीं है। उन्होंने दावा किया कि वक्फ प्रॉपर्टी पब्लिक प्रॉपर्टी नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि क्या ये सरकार दरगाह, वक्फ जैसी प्रॉपर्टी लेना चाहती है? 
 

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ओवैसी ने आगे कहा कि सरकार कह रही है कि हम महिलाओं को दे रहे हैं, मुझे यकीन है कि आप बिल्किस बानो और जाकिया जाफरी को मेंबर बनाएंगे? उन्होंने जोर देते हुए कहा कि आप मुसलमानों के दुश्मन हैं, ये बिल इसका प्रमाण है। बाद में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि विधेयक पेश होने से पहले हमने नियम 72 के तहत स्पीकर को नोटिस भेजा था कि हम इस विधेयक के पेश होने के खिलाफ हैं। हमारा मानना ​​है कि यह विधेयक अनुच्छेद 14, 15 और 25 के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। 
असदुद्दीन ओवैसी ने साफ तौर पर कहा कि यह विधेयक संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करता है। यह खास तौर पर न्यायिक स्वतंत्रता और शक्तियों के विभाजन का उल्लंघन करता है। आप उन मस्जिदों को छीनना चाहते हैं जिन पर आरएसएस का दावा है, उन दरगाहों को छीनना चाहते हैं जिन पर दक्षिणपंथी हिंदुत्ववादी संगठन दावा कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि इसमें कई धाराएं ऐसी हैं जो खतरनाक हैं। वे वक्फ बोर्ड के पक्ष में नहीं हैं, बल्कि इसे खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। उनके सारे तर्क झूठे हैं। यह कानून नहीं है, बल्कि वक्फ को ध्वस्त करने और मुसलमानों को खत्म करने का एक तरीका है। 
 

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सरकार ने वक्फ बोर्डों को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन से संबंधित विधेयक बृहस्पतिवार को लोकसभा में पेश किया जिसके बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने की अनुशंसा की गई। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने सदन में ‘वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024’ पेश किया और विभिन्न दलों की मांग के अनुसार विधेयक को संसद की संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजने का प्रस्ताव किया। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, ‘‘मैं सभी दलों के नेताओं से बात करके इस संयुक्त संसदीय समिति का गठन करुंगा।’’ विपक्षी सदस्यों ने विधेयक का पुरजोर विरोध किया और कहा कि यह संविधान, संघवाद और अल्पसंख्यकों पर हमला है। 

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