विश्व का सबसे पुराना जीवंत शहर, वाराणसी- जिसे काशी और बनारस के नाम से भी जाना जाता है, भारत की आध्यात्मिक राजधानी है। यह हिंदू धर्म के सात पवित्र शहरों में से एक है। वाराणसी का पुराना शहर गंगा के पश्चिमी किनारे पर स्थित है, जो संकरी गलियों की भूलभुलैया में फैला हुआ है। वाराणसी में लगभग हर मोड़ पर मंदिर हैं, लेकिन काशी विश्वनाथ मंदिर सबसे विशाल और सबसे पुराना मंदिर है। बनारस को भगवान शिव की नगरी के रूप में जाना जाता है और मान्यता है कि यह उनके त्रिशूल पर टिकी हुई है।
वाराणसी को मरने के लिए एक शुभ स्थान माना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह शहर जीवन और मृत्यु के चक्र से मोक्ष या मुक्ति प्रदान करता है। शहर की सबसे प्रतिष्ठित विशेषताओं में से एक गंगा के किनारे 80 घाट हैं, जहां दैनिक जीवन से जुड़े अनुष्ठानों, समारोहों और आध्यात्मिक प्रथाओं से जुड़े आयोजन देखने को मिलते हैं। यहां दशाश्वमेध घाट और मुख्य घाट से मंत्रमुग्ध कर देने वाली गंगा आरती देखते ही बनती है जब पुजारी लयबद्ध गति के साथ पवित्र नदी की पूजा करते हैं। सूर्योदय या सूर्यास्त के दौरान गंगा के किनारे नाव की सवारी एक शांत अनुभव प्रदान करती है, जिससे आगंतुकों को शहर की शाश्वत सुंदरता देखने का मौका मिलता है।
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वाराणसी की संकरी घुमावदार गलियों में कई मंदिर, दुकानें और भोजनालय हैं। यह गलियां ऐतिहासिक सारनाथ जैसे छिपे हुए रत्नों की ओर ले जाती है, जहाँ भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। त्योहारों के दौरान, विशेषकर दिवाली और होली के दौरान यह शहर रंगों और ध्वनियों से नहाया होता है। दिवाली के दौरान हजारों दीयों से सजे जीवंत घाट मंत्रमुग्ध कर देने वाले दृश्य का निर्माण करते हैं। वाराणसी के स्थानीय बाज़ार, जैसे विश्वनाथ गली और ठठेरी बाज़ार, हस्तनिर्मित रेशम, पीतल के बर्तन और पारंपरिक बनारसी साड़ियों की एक श्रृंखला पेश करते हैं। वाराणसी की यात्रा का सबसे अच्छा समय सर्दियों के महीनों (अक्टूबर से मार्च) के दौरान होता है, जब मौसम सुहावना होता है और शहर त्योहारों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से जीवंत होता है।