दिल्ली-एनसीआर के लोगों के लिए हर वीकेंड का पर्यटन स्थल ऋषिकेश धार्मिक दृष्टि से भी काफी महत्व रखता है। ऋषियों-मुनियों की इस तपोभूमि पर कई मंदिर ऐसे हैं जिनका उल्लेख पौराणिक ग्रंथों में भी मिलता है। ऋषिकेश को गढ़वाल हिमालय का प्रवेश द्वार और विश्व की योगनगरी के रूप में भी जाना जाता है। ऋषिकेश चार धाम तीर्थ स्थानों- बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के अलावा हरसिल, चोपता, औली जैसे हिमालयी पर्यटन स्थलों की यात्रा के लिए प्रारम्भिक बिन्दु भी है।
ऋषिकेश का शांत और सुरम्य वातावरण सभी को अपनी ओर आकर्षित करता है। भारत के पवित्र स्थलों में से एक ऋषिकेश में कई साधु-संतों का आश्रम भी है। ऋषिकेश की सुंदरता बढ़ाने के लिए हिमालय की निचली पहाड़ियां और कल-कल बहती गंगा नदी भी अपना योगदान देती हैं। ऋषिकेश को चारधाम यानि केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री का प्रवेशद्वार माना जाता है। यहां सिर्फ भारतीय ही नहीं बल्कि विदेशी लोग भी अध्यात्म और शांति की चाह में आते हैं और मोक्ष के लिए ध्यान लगाते हैं।
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ऋषिकेश के लोकप्रिय स्थलों की बात करें तो उसमें सबसे पहले लक्ष्मण झूला का नाम आता है। कहा जाता है कि गंगा नदी को पार करने के लिए लक्ष्मणजी ने इस स्थान पर जूट का झूला बनवाया था। झूले के बीच में पहुँचने पर वह हिलता हुआ प्रतीत होता है। 450 फीट लम्बे इस झूले के समीप ही लक्ष्मण और रघुनाथ मन्दिर हैं। झूले पर खड़े होकर आसपास के खूबसूरत नजारों का आनन्द लिया जा सकता है। लक्ष्मण झूला के समान राम झूला भी नजदीक ही स्थित है।
त्रिवेणी घाट को ऋषिकेश में स्नान करने का प्रमुख घाट माना जाता है। इस घाट का नाम त्रिवेणी इसलिए है क्योंकि यहां तीन प्रमुख नदियों- गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है। हर रोज शाम को त्रिवेणी घाट पर होने वाली गंगा आरती देखना मन को शांति प्रदान करता है और आरती की भव्यता भी देखने लायक होती है।
नीलकण्ठ महादेव मंदिर सभी को अवश्य जाना चाहिए। मान्यता है कि भगवान शिव ने इसी स्थान पर समुद्र मन्थन से निकला विष ग्रहण किया गया था। मन्दिर परिसर में पानी का एक प्रसिद्ध झरना है जहाँ भक्तगण मन्दिर के दर्शन करने से पहले स्नान करते हैं।
ऋषिकेश के सबसे प्राचीन मंदिर की बात करें तो वह है भरत मंदिर। इस मंदिर को 12वीं शताब्दी में आदि गुरु शंकराचार्य जी ने बनवाया था। मंदिर को 1398 में तैमूर ने आक्रमण के दौरान क्षतिग्रस्त कर दिया था लेकिन आज भी मंदिर की बहुत-सी महत्वपूर्ण चीजें सुरक्षित रखी गयी हैं। मंदिर के अन्दरूनी गर्भगृह में भगवान विष्णु की प्रतिमा एकल शालीग्राम पत्थर पर उकेरी गई है। आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा रखा गया श्रीयन्त्र भी यहाँ स्थापित है।
ऋषिकेश आये हैं तो वशिष्ठ गुफा देखने जरूर जायें। लगभग 3000 साल पुरानी वशिष्ठ गुफा बद्रीनाथ-केदारनाथ मार्ग पर स्थित है। जब आप इस मार्ग पर आएंगे तो पाएंगे कि बहुत से साधु-संत ध्यान लगाये बैठे हैं। गुफा के भीतर एक शिवलिंग भी स्थापित है, जिसके पूजन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
ऋषिकेश में लोग रीवर राफ्टिंग करने के लिए भी आते हैं और गंगा किनारे टैंटों में रात गुजारने का भी लोग मजा लेते हैं। हालांकि मानसून या वर्षा के मौसम में यह सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाती है। ऋषिकेश में घूमने के लिए बस, टैक्सी अथवा परिवहन के अन्य साधन आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं और यहां खाने-पीने की भी सभी चीजें आसानी से मिल जाती हैं। तो फिर देर किस बात की…यदि दिल्ली और उसके आसपास रहते हैं तो पहुँच जाइये वीकेंड पर।