Lakhimpur Kheri Violence: लखीमपुर खीरी कांड के आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि उसने आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत याचिका का विरोध किया था. साथ ही कोर्ट को अवगत कराया कि घटना के चश्मदीद गवाह ने आरोपी मिश्रा को मौके से भागते देखा था और यह बात चार्जशीट में भी है.
इससे पहले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को कहा कि, वो बताएं कि क्या दूसरी एफआईआर में आरोपी अभी भी जेल में है? जस्टिस सूर्यकांत ने प्रशांत भूषण की डे-टू-डे हियरिंग पर कहा कि, हमारे मन में कुछ है, बड़ा मुद्दा शामिल है. कोई भी समयरेखा निर्धारण अभियोजन पक्ष के मामले को प्रभावित करेगा.
उत्तर प्रदेश सरकार ने सुनवाई के दौरान बताया कि, सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए जा चुके हैं. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने लखीमपुर खीरी की रिपोर्ट को भी पढ़ा, जो कहती है कि इस मुकदमे को पूरा होने में पांच साल का समय लगेगा, क्योंकि मामले में 200 गवाह हैं, 27 सीएफएसएल रिपोर्ट हैं. दरअसल, शीर्ष अदालत ने पिछली सुनवाई में निचली अदालत से जानकारी मांगी थी कि बिना दूसरे मुकदमों पर असर डाले इस केस का निपटारा कितने समय में हो सकेगा.
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने निचली अदालत से पूछा था कि लखीमपुर मामले में ट्रायल पूरा होने में कितना टाइम लगेगा. सुनवाई में आशीष मिश्रा की ओर से मुकुल रोहतगी ने कहा था कि आशीष मिश्रा की आरोप मुक्त करने की अर्जी निचली अदालत ने खारिज कर दी है. उन पर आरोप तय कर दिए गए हैं, वो घटना के समय कार में नहीं था, फिर भी एक साल से ज्यादा समय से जेल में है. पहले हाईकोर्ट ने जमानत दी थी. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने जमानत रद्द कर फिर से मामले को हाईकोर्ट भेज दिया था.
देश के लखीमपुर जिले के तिकुनिया थाना क्षेत्र में 3 अक्टूबर 2021 को हिंसा हुई थी. आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू के इशारे पर थार जीप से प्रदर्शनकारी किसानों को कुचल दिया गया था. घटना में 4 लोगों की मौत हो गई थी. हिंसा भड़कने के बाद इस पूरे घटनाक्रम में 8 लोगों की जान गई थी.