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नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आगरा में दिया था ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ का नारा

Agra: आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती है. नेताजी का आगरा से भी काफी गहरा रिश्ता रहा है. स्वतंत्रता संग्राम में नेता जी ने ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ नारे की शुरुआत आगरा से ही की थी. आगरा के मोतीगंज स्थित पुरानी चुंगी मैदान में नेताजी ने जब यह नारा दिया था तो उनकी सभा में मौजूद हजारों लोग जोश से लबरेज हो गए थे. यहां तक कि कई लोगों ने अपने खून से पत्र लिखकर नेता जी को दिए थे. आगरा के वयोवृद्ध कांग्रेसी नेता शशि शिरोमणि ने नेता जी की सभा के बारे में प्रभात खबर को विस्तृत जानकारी दी.

कांग्रेसी नेता शशि शिरोमणि ने बताया कि वैसे तो नेताजी सुभाष चंद्र बोस 1938-39 के बीच पहली बार आगरा आए थे लेकिन इस बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं. उन्होंने बताया कि दोबारा नेताजी 1940 में आगरा आए थे और उन्होंने मोतीगंज स्थित पुरानी चुंगी मैदान के श्री कन्हीराम बाबूराम हायर सेकेंडरी स्कूल की सीढ़ियों पर खड़े होकर हजारों लोगों की जनसभा को संबोधित किया था. शशि शिरोमणी जी ने बताया कि करीब दोपहर के 11:00 बजे से पहले ही लोग चुंगी मैदान में इकट्ठा होना शुरू हो गए थे.

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हर व्यक्ति नेताजी सुभाष चंद्र बोस की एक झलक देखना चाहता था और उनकी ओजस्वी वाणी को सुनना चाहता था. सभा शुरू होने पर जैसे ही नेता जी ने नारा दिया ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ लोगों को लगा कि कोई जादू हो रहा है और पूरा मैदान इंकलाब जिंदाबाद और भारत माता की जय के नारों से गुंजायमान होने लगा. सभा में मौजूद लोग नेता जी की बातों से इतने प्रभावित हुए कि कई लोगों ने उन्हें अपने खून से चिट्ठियां लिख कर भी दी.

कई युवाओं ने नेताजी को शीशी में भरकर खून भी भेंट किया और कहा कि हम भी स्वतंत्रता की लड़ाई में आपके साथ हैं. नेताजी सुभाष चंद्र बोस की चुंगी मैदान में हुई इस सभा में आगरा व आसपास के तमाम जिलों से हजारों की संख्या में लोग आए थे. वहीं शशि शिरोमणि जी बताते हैं कि जिस सीढ़ी पर खड़े होकर नेता जी भाषण दे रहे थे उसी सीढ़ी पर मैं और मेरे पिता मात्र 5 मीटर की दूरी पर बैठे थे. मैं उस समय मात्र 8 वर्ष का था और मैंने नेताजी के चेहरे पर जो तेज देखा उससे पहले शायद किसी के चेहरे पर नहीं देखा था.

शशि शिरोमणि जी ने बताया कि जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस की सभा पुरानी चुंगी मैदान में हुई तो ब्रिटिश हुकूमत की पुलिस ने पूरे सभा स्थल को चारों तरफ से घेर रखा था. वे लोग चाहते थे की सभा में जैसे ही कोई विवाद उत्पन्न हो तुरंत ही इन लोगों पर बल का प्रयोग शुरू कर दिया जाए. लेकिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस कि तेजस्वी बाणी में लोग ऐसा खो गए कि उन्हें पुलिस की सुध ही नहीं रही. उन्होंने बताया कि सभा स्थल पर कहीं भी पैर रखने की जगह नहीं थी. आसपास जो इमारत बनी थी वहां पर भी लोग बैठे हुए थे. यहां तक की सड़क पर भी खड़े होकर लोग नेता जी के भाषण सुन रहे थे.

उन्होंने बताया की हमारी उम्र के सभी बच्चों को उस समय एक खास नारा दिया गया था. यह नारा पुलिस की खिलाफत के लिए था. बच्चे कहते थे ‘एक दो, लाल टोपी फेंक दो’. यह नारा बच्चों में काफी प्रचलित था. नेताजी सुभाष चंद्र बोस को बच्चों से काफी प्यार था. क्योंकि बच्चे ही एक ऐसा साधन थे जो उनके संदेश को गुप्त तरीके से यथा स्थान तक पहुंचाते थे. बच्चों पर कोई भी शक नहीं करता था. ऐसे में वह पुलिस की नजरों से बचकर गुप्त संदेश को कहीं भी पहुंचा देते थे.

वयोवद्ध कांग्रेसी नेता ने बताया कि नेताजी के समय में बच्चों की एक सभा थी, जिसे बाल सुबोधिनी सभा कहा जाता था. जिसमें बच्चों को गुप्त संदेश पहुंचाने की ट्रेनिंग भी दी जाती थी. उस समय सैनिक अखबार चलाने वाले कृष्ण दत्त पालीवाल जी ने आइसक्रीम की एक स्टाल लगाई थी. जिसमें ऊपर आइसक्रीम और नीचे की जेबों में चिट्टियां और महत्वपूर्ण कागज रखे होते थे. जिसे बच्चे आइसक्रीम के बहाने नियत स्थान पर पहुंचाते थे.

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