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नेपाल के पर्वतीय क्षेत्र में आए भूकंप के कारण 143 लोगों की मौत, 150 से अधिक लोग घायल

नेपाल में शुक्रवार रात आए 6.4 तीव्रता के भूकंप के कारण देश के सुदूर पर्वतीय क्षेत्र में कम से कम 143 लोगों की मौत हो गई और 150 से अधिक लोग घायल हैं, जबकि सैकड़ों मकान क्षतिग्रस्त हो गए। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
यह नेपाल में 2015 के बाद से सबसे विनाशकारी भूकंप है।
राष्ट्रीय भूकंप निगरानी एवं अनुसंधान केंद्र के अनुसार, भूकंप शुक्रवार रात 11 बजकर 47 मिनट पर आया, जिसका केंद्र जाजरकोट जिले में था। यह स्थान राजधानी काठमांडू से करीब 500 किलोमीटर पश्चिम में है।
नेपाल में 2015 में आये 7.8 तीव्रता के भूकंप में लगभग 9,000 लोगों की मौत हो गई थी और 22,000 से अधिक लोग घायल हुए थे।
भूकंप के झटके काठमांडू और इसके आसपास के जिलों में, और यहां तक कि पड़ोसी देश भारत की राजधानी नयी दिल्ली तक महसूस किये गए।

नेपाल सेना के प्रवक्ता कृष्ण प्रसाद भंडारी के अनुसार, नेपाल सेना ने भूकंप के तुरंत बाद घटना स्थल पर बचाव कार्य करने के लिए शुक्रवार को अपने कर्मियों को लामबंद किया।
बचाव कर्मी शनिवार को, ढह चुके मकानों के मलबे में दबे लोगों को निकालने की कोशिश करते नजर आए।
सरकारी ‘नेपाल टेलीविजन’ के अनुसार, पश्चिमी नेपाल के जाजरकोट और रुकुम जिले भूकंप से सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं।
प्रधानमंत्री सचिवालय के अनुसार, जाजरकोट और रुकुम में भूकंप में जान गंवाने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 143 हो गई है। भूकंप में 150 से अधिक लोग घायल हुए हैं। मृतक संख्या और बढ़ने की आशंका है।
अधिकारियों ने बताया कि भूकंप में मारे गए लोगों में जाजरकोट में नलगढ़ नगर पालिका की उप महापौर सरिता सिंह भी शामिल हैं।
राष्ट्रीय भूकंप निगरानी एवं अनुसंधान केंद्र ने बताया कि शुक्रवार रात आए भूकंप बाद के लगभग 159 हल्के झटके आये।

कई लोग फिर से भूकंप आने और मकानों को होने वाले संभावित नुकसान की आशंका से डरकर रातभर बाहर रहे। सोशल मीडिया पर साझा किए गए पोस्ट के मुताबिक, अंधेरे में लोगों को ढही हुई इमारतों के मलबे से लोगों को बाहर निकालते देखा गया।
अधिकारियों ने बताया कि नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दाहाल ‘प्रचंड’ ने शनिवार सुबह चिकित्सा कर्मियों के एक दल के साथ घटनास्थल का दौरा किया।
उन्होंने भूकंप के कारण हुई क्षति का आकलन करने के लिए जानकारी एकत्र की और मुख्य जिला अधिकारी के साथ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया। इसके बाद वह सात घायलों और उनके परिवार के सदस्यों के साथ जाजरकोट से सुरखेत लौट आए।

दाहाल के नियमित उड़ान से राजधानी लौटने का कार्यक्रम है। उन्होंने नेपाली सेना के जिस हेलीकॉप्टर से घटनास्थल का दौरान किया था, उसे वह बचाव कार्य के लिए छोड़ देंगे।
अधिकारियों ने बताया कि नेपाल की सेना और पुलिस कर्मियों को बचाव कार्य में लगाया गया है। देश की तीनों सुरक्षा एजेंसियों- नेपाल सेना, नेपाल पुलिस और सशस्त्र पुलिस बल को बचाव कार्य में लगाया गया है।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘प्रधानमंत्री पुष्पकमल दाहाल ने शुक्रवार रात आए भूकंप में जान-माल का नुकसान होने पर गहरा दुख प्रकट किया है। उन्होंने तत्काल राहत एवं बचाव के लिए तीनों सुरक्षा एजेंसियों को तैनात किया है।’’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नेपाल में भूकंप के कारण हुए जान-माल के नुकसान पर शनिवार को दुख व्यक्त किया और कहा कि भारत अपने पड़ोसी देश के साथ एकजुटता से खड़ा है और उसे हर संभव मुहैया कराने के लिए तैयार है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में प्रचंड को टैग करते हुए कहा, ‘‘नेपाल में भूकंप के कारण हुए जान-माल के नुकसान को लेकर बहुत दुखी हूं। भारत नेपाल के लोगों के साथ एकजुटता से खड़ा है और हर संभव मदद मुहैया कराने के लिए तैयार है। हम शोकसंतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं।’’
अधिकारियों ने बताया कि घायलों का सुरखेत जिला अस्पताल में इलाज जारी है। प्रधानमंत्री प्रचंड ने सुरक्षा एजेंसियों को बचाव और राहत कार्य तुरंत करने के निर्देश दिए हैं।

राष्ट्रपति रामचन्द्र पौडेल ने भी भूकंप में जान-माल का नुकसान होने पर दुख व्यक्त किया है। राष्ट्रपति कार्यालय के मुताबिक, उन्होंने सरकार और सभी संबंधित एजेंजियों से भूकंप प्रभावित इलाकों में राहत एवं बचाव कार्य सुनिश्चित करने की अपील की है।
अधिकारियों ने बताया कि सड़कें अवरुद्ध होने और पुल क्षतिग्रस्त होने के कारण घटना स्थल पर बचाव और राहत कार्य बाधित हो गया है।
सरकार ने तत्काल भूकंप पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए अधिकारियों को 10 करोड़ रुपये जारी किए हैं।
इसके अलावा, गृह मंत्रालय ने जाजरकोट और रुकुम पश्चिम जिलों में आपदा राहत के लिए 55 लाख रुपये जारी करने का फैसला किया है ताकि प्रभावित लोगों के राहत और बचाव कार्य किया जा सके।

गृह मंत्रालय ने शुरुआती राहत आपूर्ति नेपाली सेना के हेलीकॉप्टर के जरिये भेजी है।
नेपाली कांग्रेस पार्टी ने तलाश, बचाव और पुनर्वास कार्य में सरकार की मदद के लिए 50 लाख रुपये की वित्तीय मदद की घोषणा की है।
स्वास्थ्य एवं जनसंख्या मंत्री मोहन बहादुर बासनेत ने कहा कि सरकार भूकंप पीड़ितों को मुफ्त इलाज मुहैया कराएगी।
नेपाल में अक्सर भूकंप आते रहते हैं। दरअसल नेपाल, हिमालय पर्वतमाला की उस श्रृंखला पर स्थित है, जहां तिब्बती और भारतीय टेक्टोनिक प्लेटें मिलती हैं और ये हर सदी एक-दूसरे के तकरीबन दो मीटर नजदीक आ रही हैं, जिसके परिणामस्वरूप दबाव उत्पन्न होता है और भूकंप आते हैं।

इस साल 16 अक्टूबर के नेपाल के सुदूर पश्चिम प्रांत में 4.8 तीव्रता के भूकंप का झटके आये थे। वहीं, 22 अक्टूबर को नेपाल की राजधानी काठमांडू में 6.1तीव्रता का भूकंप आया था। नेपाल स्थित राष्ट्रीय भूकंप निगरानी एवं अनुसंधान केंद्र में वरिष्ठ भूकंप वैज्ञानिक भरत कोइराला ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘भारतीय और यूरेशिया की टेक्टॉनिक प्लेटों में लगातार टक्कर हो रही है जिससे बहुत अधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है।’’
उन्होंने कहा कि नेपाल इन दोनों प्लेटों की सीमा पर है, जो भूकंप के मामले मेंअतिसक्रिय इलाकों में आता है और इसलिए नेपाल में भूंकप आना सामान्य है।

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