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187 युद्धपोत, 89 लड़ाकू विमान, रूस का ये रुख देख अमेरिका भी हुआ परेशान

भले ही यूक्रेन से जंग के दौरान रूस बाकी दुनिया से अलग-थलग पड़ गया हो। उस पर पश्चिमी देशों ने तमाम तरह के प्रतिबंध लगा रखे हो। लेकिन आज भी रूस नाटो देशों की चुनौतियों का डटकर मुकाबला कर रहा है। यूक्रेन जंग के चलते हैं रोज तमाम तरह के प्रतिबंध झेल रहा है। उसकी इकनोमिक तबाह हो रही है। वही यूक्रेन के साथ अमेरिका समेत कई यूरोपीय देश खड़े हैं। यूक्रेन इस सैनिक कई देशों के साथ सैन्य अभ्यास के जरिए युद्ध के कौशल बढ़ा रहे हैं। जबकि रूस के सैनिक युद्ध में व्यस्त हैं। लगातार जंग सैनिकों का मनोबल गिरा देती है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन को इस बात का अंदाजा है इसलिए वह समय-समय पर सैनिकों से मिलते रहते हैं। उनके साथ वक्त बिताते हैं ताकि उनका हौसला अफजाई होता रहे।

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खेरसोन पहुंचे पुतिन
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन 18 अप्रैल की तड़के यूक्रेन के खेरसॉन क्षेत्र पहुंचे और वहां लड़ रहे रूसी सैनिकों के मुख्यालय का दौरा किया। यूक्रेन में रूसी कब्जे वाले इलाकों में मार्च महीने से पूतिन का यह दूसरा दौरा है। मार्च में पूतिन यूक्रेन के मारियुपोल पहुंचे थे। किए हैं। ऐसा लगता है कि अचानक ही यह दौरा हुआ, क्योंकि उनके साथ न तो रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू थे और न ही चीफ ऑफ स्टाफ वालेरी गेरासिमोव साथ थे। खेरसॉन में रूसी क सेना के हेडक्वॉर्टर्स में पुतिन ने मिलिट्री कमांडरों से जंग पर चर्चा की।

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प्रशांत महासागर में सैन्य अभ्यास
इसी कड़ी में रूस ने 17 अप्रैल को प्रशांत महासागर में सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया है। इसमें रूसी नौसेना की पेसिफिक फ्लिड शामिल है। इसका मकसद रूसी नौसेना को पश्चिमी देशों की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार करना है साथ ही जंग के दौरान हर परिस्थिति में हमले की ट्रेनिंग देना है। हालांकि पिछले साल के वोस्टोक युद्ध अभ्यास की तरह इसमें किसी दूसरे देश की सेनाएं शामिल नहीं है। इसमें रूसी नौसेना की 167 युद्धपोत, 12 पनडुब्बियां, 89 फाइटर जेट और 25 हजार नौसैनिक शामिल होंगे।

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