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पाकिस्तान में निर्वासन के डर में जी रहे अफगान शरणार्थी, पुलिस पर लग रहे परेशान करने के आरोप

पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची में रहने वाले हजारों अफगान शरणार्थी और अवैध प्रवासी सरकार की इस घोषणा के बाद डर में अपने दिन और रात गुजार रहे हैं कि इस महीने के अंत तक करीब 17 लाख अवैध अफगान शरणार्थियों को उनके देश वापस भेज दिया जाएगा।
कराची के बाहरी इलाके में स्थित हिजरा कॉलोनी और अफगान बस्ती में रहने वाले अधिकतर अफगान पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के लिए, सरकारी घोषणा के बाद से जीवन नरक बन गया है, क्योंकि उनके अनुसार, पुलिस ने उनके खिलाफ धरपकड़ शुरू कर दी है।
पाकिस्तान ने बिना दस्तावेज के रह रहे प्रवासियों, मुख्य रूप से अफगानों के लिए स्वेच्छा से देश छोड़ने की समय सीमा एक नवंबर निर्धारित की है, उस तारीख के बाद गिरफ्तारी और निर्वासन की चेतावनी दी गई है।

अफगान बस्ती में समुदाय के प्रमुख हाजी अब्दुल्ला ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, यहां तक कि हममें से जिनके पास कानूनी शरणार्थी दर्जा/कार्ड हैं, उन्हें भी पुलिस नहीं बख्श रही है। पुलिस पूरे कराची में हमारे लोगों को शातिर तरीके से निशाना बना रही है।
अनुमान है कि कराची लगभग तीन लाख अफगान रहते हैं, उनमें से कई तालिबान के कब्जा करने के दौरान अफगानिस्तान से आए थे और अवैध रूप से यहां रह रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि लगभग 13 लाख अफगान पाकिस्तान में पंजीकृत शरणार्थी हैं, जबकि अन्य 8,80,000 के पास देश में रहने का कानूनी दर्जा है।
अफगान समुदाय के प्रतिष्ठित कारोबारी हाजी रहीम ने कहा कि पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के डर से अधिकांश युवा घर पर ही रह रहे हैं और काम के लिए बाहर नहीं निकल रहे।

रहीम ने कहा, “हम नहीं जानते कि क्या करें क्योंकि कानूनी दर्जा प्राप्त शरणार्थियों को भी परेशान किया जा रहा है और पैसे देने के लिए मजबूर किया जा रहा है। सदर में ठेला लगाने वाले और चिप्स बेचने वाले एक व्यक्ति को पुलिस ने उठा लिया और वह अब भी जेल में बंद है क्योंकि उसका परिवार पुलिस द्वारा मांगे गए पैसे का प्रबंध नहीं कर सकता।”
सोहराब गोथ में एक रेस्तरां चलाने वाले अहमद ने कहा कि पिछले महीने में, विभिन्न मामलों में लगभग 1,500 अफगानों को गिरफ्तार किया गया था।
उन्होंने कहा, कई लोगों को रिश्वत देने के बाद रिहा कर दिया गया।

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