मालदीव की हरकतों पर भारत सरकार चुप जरूर है, लेकिन शांत नहीं है। हर मामले की तरह मालदीव का भी निपटारा होगा। चीन की गोद में बैठी मोइज्जु सरकार को लग रहा है कि उसके जो मन में आएगा वो करेंगे। लेकिन कनाडा और कतर की तरह उसकी भी अक्ल जल्द ही ठिकाने आ जाएगी। दरअसल, भारत से तनाव के बीच मालदीव ने 43 भारतीयों को देश से निकालने की घोषणा कर दी है। मालदीव ने इनके ऊपर अलग-अलग आरोप होने का दावा किया है। मालदीव की मीडिया के मुताबिक मालदीव ने 12 देशों के कुल 186 नागरिकों को देश से निकालने का फैसला किया है।
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43 भारतीयों को निर्वासित कर दिया
भारत के साथ चल रहे राजनयिक विवाद के बीच, मालदीव ने कथित तौर पर वहां अपराध करने के आरोपी 43 भारतीयों को निर्वासित कर दिया है। एक स्थानीय समाचार आउटलेट ने को बताया कि अन्य राष्ट्रीयताओं के लोगों को भी निर्वासित किया गया, जिनमें बांग्लादेश से 83, श्रीलंका से 25 और नेपाल से आठ लोग शामिल हैं। ये वो देश हैं जिनके साथ भारत के संबंध बहुत ही अच्छे हैं और जिन्होंने चीन की चालाकी से दूरी बनानी शुरू कर दी हैं। रिपोर्ट में संकेत दिया गया कि ये सभी लोग देश में अवैध कारोबार करने में शामिल थे। मालदीव के गृह मंत्रालय ने सोमवार (12 फरवरी) को कहा कि अवैध कारोबार को बंद करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। ये व्यवसाय कथित तौर पर अपने राजस्व और कमाई को विदेशियों के स्वामित्व वाले बैंक खातों में छिपाने में लगे हुए थे।
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भारत को उकसा रहा मालदीव
हालांकि इसमें चीन के एक भी नागरिक का नाम नहीं है। साफ है कि 12 देशों का सहारा लेकर मालदीव भारत को टारगेट कर रहा है। मालदीव भारत की छवि खराब करना चाहता है। किसी भी चीनी नागरिक का इसमें न होना इसे और भी पक्का करता है। वैसे तो इनकी वापसी की तारीख का अभी ऐलान नहीं हुआ है। लेकिन ये भारत को उकसाने वाला कदम लग रहा है। कुछ दिन पहले मालदीव के गृह मंत्रालय ने कहा था कि वो देश में गैर कानूनी तरह से चल रहे बिजनेस को बंद करेगा। इन व्यापारियों का पैसा कारोबारियों के बैंक में डाला जा रहा है। गौरतलब है कि इंडिया आउट का नारा देकर मालदीव की सत्ता में आए मोइज्जु अलग-अलग मुद्दों को लेकर भारत के साथ लगातार विवाद बनाकर रखा है।