अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत को सत्ता संभालते हुए साल भर से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है। 15 अगस्त 2021 का वो दिन जब काबुल पर तालिबान राज कायम हुआ था। जिसके बाद से ही आए दिन अफगानिस्तान में तालिबानी फरमान जारी होते रहे। तालिबान औरतों और लड़कियों की आजादी पर हमेशा से रोक लगाता रहा। उनके उसके शिक्षा और स्वतंत्रता के अधिकार को छीनता रहा। लेकिन बीते दिन यानी 8 मार्च की तारीख को अतंरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर कुछ अफगान महिलाओं ने एक बड़ा कदम उठाया है, जिसकी चर्चा अब देश-दुनिया में हो रही है।
इसे भी पढ़ें: Afghanistan Governor Killed: IS के खिलाफ लड़ाई को लीड करने वाले तालिबानी गवर्नर को बम से किसने उड़ाया?
अफगानिस्तान के एक समाचार नेटवर्क ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर अपने स्टूडियो में एक दुर्लभ, लगभग 50 मिनट का प्रसारण किया, जिसमें सभी महिला पैनलिस्ट थीं। चेहरे पर नकाब पहनी महिला पैनलिस्ट ने इस्लाम में महिलाओं की स्थिति के बारे में बात की। कट्टर तालिबान के सत्ता में आने के बाद यह पहली बार है जब देश में इस तरह की खबरों की चर्चा हुई है। पिछली बार की तुलना में अधिक उदार शासन के अपने वादे से तालिबान के मुकरने के बाद महिलाओं को पिछले साल अफगानिस्तान के कार्यबल से बाहर कर दिया गया और शिक्षा से वंचित कर दिया गया।
तालिबान शासन के बाद कई महिला पत्रकारों को अपना पेशा छोड़ने या ऑफ एयर काम करने के लिए छोड़ दिया, जबकि लड़कियों और महिला छात्रों को शिक्षा से वंचित कर दिया गया। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के एक दिन बाद, अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र मिशन ने कहा कि देश “महिलाओं के अधिकारों के संबंध में दुनिया में सबसे दमनकारी” था। पैनल में मौजूद पत्रकार असमा खोग्यानी ने कहा: “इस्लामी दृष्टिकोण से काम करने में सक्षम होना, शिक्षित होना उसका अधिकार है। उनकी साथी पैनलिस्ट जकीरा नबील ने कहा कि महिलाएं सीखने और काम करने के तरीके ढूंढती रहेंगी। विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर ने पैनल को बताया, “आप चाहें या न चाहें, महिलाएं इस समाज में मौजूद हैं… अगर स्कूल में शिक्षा प्राप्त करना संभव नहीं है, तो वह घर पर ही ज्ञान सीखेंगी।