अमेरिका ने घोषणा की है कि वह ईरान कोमहिला अधिकारों के उल्लंघन एवं प्रदर्शनकारियों पर उसकी वर्तमान दमनात्मक कार्रवाई के चलते उसे ‘महिलाओं की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र आयोग’ (यूएनसीएसडब्ल्यू) से बाहर करने की कोशिश करेगा।
अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने महिलाओं की स्थिति को लेकर बने आयोग से ईरान को बाहर करने के लिए अन्य देशों के साथ मिलकर काम करने की अमेरिका की मंशा बुधवार को सामने रखी।
उन्होंने कहा कि जो भी देश महिला अधिकारों का उल्लंघन करता है उसे ‘‘किसी ऐसे संगठन या संयुक्त राष्ट्र के निकाय में भूमिका नहीं निभाना चाहिए जिसपर उन अधिकारों की सुरक्षा का जिम्मा है।’’
उन्होंने कहा कि ईरान आयोग की सेवा करने के लिए ‘अनपयुक्त’है और उसकी उपस्थिति उसके (आयोग के) कामकाज की ‘शुचिता पर दाग’ है।
बुधवार को ही बाद में, ‘ईरान में प्रदर्शन’ के विषय पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद की अनौपचारिक बैठक में अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा कि ईरान की सदस्यता ‘आयोग की विश्वसनीयता पर बदनुमा दाग है’ और ‘हमारी नजर में यह (सदस्यता) नहीं टिक सकती है।’
महिलाओं की स्थिति को लेकर 1946 स्थापित यह आयोग महिला अधिकारों के संवर्धन में अहम भूमिका निभाता है तथा दुनियाभर में महिलाओं के जीवन की हकीकत को सामने लाता है। वह महिलाओं को सशक्त बनाने तथा लैंगिक समानता हासिल करने के लिए वैश्विक मापदंड तय करता है।
आयोग के 45 सदस्यों का निर्वाचन संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद द्वारा चार साल के लिए किया जाता है और वे दुनिया के सभी क्षेत्रों के होते हैं। ईरान एशियाई क्षेत्र से निर्वाचित हुआ है और उसका कार्यकाल 2026 में समाप्त होगा।
थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा कि ‘‘ ईरान में महिलाओं का योजनाबद्ध उत्पीड़न कोई नयी बात नहीं है लेकिन ईरानी लोगों की बहादुरी के कारण की शासन की क्रूरता सामने आयी है।’’
ईरान में पुलिस हिरासत में 16 सितंबर को 22 साल की महसा अमीनी की मौत हो जाने के बाद देशव्यापी प्रदर्शन शुरू हो गया था। उसे महिलाओं के निर्धारित कड़ी परिधान संहिता का कथित रूप से उल्लंघन करने पर हिरासत में लिया गया था। उसपर उपयुक्त ढंग से हिजाब नहीं पहनने का आरोप था।