अमेरिका के एक रिपोर्ट में इस साल भारत में लागू हुए सीएए यानी नागरिकता संसोधन विधेयक को लेकर झूठ परोसा गया है। सीआरसी यानी काँग्रेशनल सर्विस रिपोर्ट के मुताबिक सीएए के कुछ प्रावधान संभावित रूप से भारतीय संविधान का उल्लंघन करते हैं। रिपोर्ट में ये भी चिंता जताई गई है कि एनआरसी के साथ साथ सीएए भारत की मुस्लिम आबादी के अधिकार को खतरे में डाल सकता है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि सीएए का विरोध करने वाले लोग बीजेपी से डरे हुए हैं। जो हिन्दू बहुसंख्यकवादी, मुस्लिम विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ा रही है। जो आधिकारिक तौर पर धर्मनिरपेक्ष गणराज्य के रूप में भारत की स्थिति को खतरे में डालती है। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानदंडों और दायित्वों का उलंघन करती है।
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रिपोर्ट में सीएए को लागू करने की टाइमिंग पर भी सवाल उठाए गए हैं। इसे चुनाव से कनेक्ट किया गया है, यानी इसे राजनीति से प्रेरित बताया गया। आपको बता दे कि अमेरिका की बाइडेन सरकार पर इस पर बारीकी से निगरानी करने का स्वांग भरती नजर आई है। हालांकि अमेरिका के झूठ को खुद ही भारतीय मुसलमान बेपर्दा कर रहे हैं। उन्हें पता है कि वह शत प्रतिशत भारतीय हैं की विकास यात्रा में जिम्मेदार होने के साथ-साथ भागीदार भी है। इससे पहपए अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हम 11 मार्च को जारी की गई नागरिकता (संशोधन) अधिनियम की अधिसूचना को लेकर चिंतित हैं। मिलर ने एक सवाल के जवाब में कहा कि हम इस बात पर निकटता से नजर रख रहे हैं कि इस अधिनियम को कैसे लागू किया जाएगा।