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Chinese Balloons: भारत में भी जासूसी कर रहे हैं चीन के गुब्बारे? अंडमान के ऊपर से भरा था उड़ान, क्या हो सकता है काउंटर प्लान

अमेरिका के आसमान में चीनी गुब्बारे का खात्मा हो गया है। एक गुब्बारा जो अमेरिका के अलग-अलग शहरों के ऊपर उड़ रहा था। जिसे पिछले दो दिनों तक मार कर गिराना भी खतरनाक था। उसके अटलांटिक सागर के ऊपर जाते ही मार गिराया गया। हमले की इस कार्रवाई को अमेरिकी एफ-22 लड़ाकू विमानों से अंजाम दिया गया। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने गुब्बारे पर एक्शन लेने का फरमान जारी किया। इसके बाद उस गुब्बारे को अटलांटिक महासागर के ऊपर घर कर नष्ट कर दिया गया। बताया गया कि अमेरिका के लड़ाकू विमान इस गुब्बारे के अटलांटिक महासागर के पास पहुंचने का ही इंतजार कर रहे थे। ताकी मार गिराए जाने के बाद उसका मलबा किसी शहर को नुकसान न पहुंचा सके। अमेरिकी तट के पास एक चीनी जासूसी गुब्बारे को मार गिराने वाले अमेरिकी ने अप्रत्याशित रूप से महाशक्ति संबंधों को और अधिक तनावपूर्ण बना दिया है। चीन की प्रतिक्रिया गुस्से भरे शब्दों तक सीमित हो सकती है, लेकिन उसके द्वारा अपना रुख बदलने की संभावना नहीं है। 

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भारत के साथ चीन की लंबी सीमा 

चीन भले ही इस गुब्बारे को मौसम संबंधी जानकारी जुटाने वाला बता रहा हो लेकिन भारत जैसे देशों के लिए यहां महत्वपूर्ण सबक हैं जो चीन के साथ एक भूमि सीमा साझा करते हैं और बीजिंग के साथ गंभीर मतभेद रखते हैं। सबसे पहले, गुब्बारों की घटना से यह बिल्कुल स्पष्ट है कि चीनी जासूसी तकनीक तेजी से परिष्कृत होती जा रही है। पिछले साल श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर एक चीनी जासूसी जहाज का एक शोध पोत के रूप में डॉकिंग बीजिंग की बढ़ती जासूसी क्षमताओं का एक और उदाहरण था।  

ड्रैगन भारत में भी भेज सकता है जासूसी गुब्बारे? 

भारत और चीन के बीच पिछले लगभग तीन सालों से तनावपूर्ण स्थिति है। भारत चीन के साथ लंबा बॉर्डर साझा करता है। ड्रैगन की मंशा से तो पूरी दुनिया वाकिफ है। ऐसे में इस बात की भी संभावना है कि जासूसी बैलून भारत में भी जासूसी कर सकते हैं। वैसे तो भारत का पूरे बॉर्डर पर एयर सर्विलेंस सिस्टम बेहद ही मौजूद है। उसे लगातार और अपग्रेड भी किया जा रहा है। ऐसे में इसकी संभावनाओं से रक्षा विशेषज्ञ इनकार कर रहे है कि इस तरह का कोई जासूसी बैलून आए और डिटेक्ट न हो पाए। हालांकि गुब्बारे का आकार इसमें एक अहम भूमिका निभाता है। अमेरिका में आइडेंटिफाई किए गए चीनी गुब्बारे का आकार  तीन बसों के बराबर था। इसके पीछे की वजह उसे लंबी दूरी का सफर तय करना था। बड़े साइज के जासूसी गुब्बारे को आसान से आइडेंटिफाई किया जा सकता है।  

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भारत का क्या हो सकता है काउंटर प्लान 

 अमेरिका ने अपने एफ 22 विमान से चीन के जासूसी गुब्बारे की हवा निकाल कर रख दी। वैसे भारत के पास सुखोई 30 और राफेल जैसे विध्वंसक फाइटर जेट मौजूद हैं। उनके मिसाइल से इस तरह के बैलून को आसानी से मार गिराया जा सकता है। डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि वैसे तो जासूसी ड्रोन के जरिए भी होती है, लेकिन बैलून ज्यादा देर तक हवा में रह सकता है। उसका कवरेज भी ज्यादा होता है। इसे बहुत लंबी दूरी में कहीं भी जमीन पर बैठकर मॉनिटर किया जा सकता है। चीन ऐसे  बैलून का इस्तेमाल एलएसी के पास भी कर सकता है। 

अमेरिका ने किया बड़ा दावा 

अमेरिका के चर्चित रक्षा विशेषज्ञ एचआई सटन ने खुलासा किया है कि चीन के अत्‍यधिक ऊंचाई पर उड़ने वाले जासूसी गुब्‍बारे का इस्‍तेमाल भारत के सैन्‍य अड्डे की जासूसी के लिए भी किया गया था। उन्‍होंने कहा कि यह जासूसी इससे पहले भारत के बेहद अहम नौसैनिक अड्डे अंडमान निकोबार द्वीप समूह के ऊपर से भी उड़ान भर चुका है और उसकी तस्‍वीर भी सामने आई थी। 

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