कनाडा की पुलिस जल्द ही उन दो लोगों को गिरफ्तार कर सकती है, जिन पर खालिस्तानी समर्थक सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की जून में हत्या करने का संदेह है। बताया जा रहा है वे दोनों अभी देश में ही हैं। एक मीडिया की खबर में यह जानकारी दी गई।
ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में जून में निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
‘द ग्लोब एंड मेल’ अखबार के अनुसार, पुलिस फिलहाल संदिग्धों पर नजर रखे हुये है और संभावना है ‘‘कुछ ही हफ्तों में’’ उन्हें पकड़ लिया जाएगा।
अखबार ने तीन अज्ञात स्रोतों के हवाले से बताया कि निज्जर की हत्या के बाद दो संदिग्ध हत्यारों ने कनाडा नहीं छोड़ा और पुलिस कई महीनों से उन पर नजर रखे हुये है।
सितंबर में, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने 18 जून को सरे शहर के गुरुद्वारे के बाहर की गई खालिस्तानी समर्थक हरदीप सिंह निज्जर (45) की हत्या में भारतीय एजेंटों की ‘‘संभावित’’ संलिप्ता का आरोप लगाया था, जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया।
भारत ने 2020 में निज्जर को आतंकवादी घोषित किया था।
भारत ने ट्रूडो के आरोपों को ‘‘बेतुका’’ बताकर खारिज कर दिया था।
खबर में बुधवार को कहा गया कि औपचारिक आरोपपत्र दायर करने के बाद पुलिस हत्यारों की कथित संलिप्तता और भारत सरकार से उनके संबंध के बारे में खुलासा करेगी।
‘ग्लोबल न्यूज’ ने ‘बीसी गुरुद्वारा काउंसिल’ के प्रवक्ता मोनिंदर सिंह के हवाले से कहा, ‘‘जैसा कि कहा जा रहा है कि दो लोगों को गिरफ्तार किया जा सकता है, इससे समुदाय के लोग राहत की सांस लेंगे।’’
खबर के अनुसार, जांच दल ने कहा कि वह निज्जर की हत्या के मामले में गिरफ्तारी को लेकर मीडिया में आ रहीं खबरों से अवगत हैं, लेकिन वह अभी इस पर कोई टिप्पणी नहीं करेगा क्योंकि जांच जारी है।
खबर में यह भी कहा गया कि कनाडा के आरोपों के बाद नवंबर में अमेरिका ने अपने आरोपों में भी एक कनाडाई-अमेरिकी सिख नागरिक की हत्या की साजिश को रेखांकित किया था।
अमेरिकी संघीय अभियोजकों ने नवंबर में आरोप लगाया था कि निखिल गुप्ता नाम का व्यक्ति एक खालिस्तानी समर्थक की हत्या की साजिश रचने के लिए एक भारतीय कर्मचारी के साथ काम कर रहा था। हालांकि, खालिस्तानी समर्थक अलगाववादी सिख नेता का नाम नहीं बताया गया, लेकिन मीडिया की खबरों में उसकी पहचान भारत में प्रतिबंधित संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ के नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू के रूप में की गई है।
अमेरिकी अभियोजकों के आरोपों की जांच के लिए भारत पहले ही एक जांच समिति गठित कर चुका है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस महीने की शुरुआत में राज्यसभा में कहा था कि कनाडा ने भारत के साथ कोई विशेष सबूत या जानकारी साझा नहीं की है।
सितंबर में ट्रूडो के आरोपों के कुछ दिनों बाद, भारत ने कनाडाई नागरिकों को वीजा जारी करना अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया और ओटावा से समानता सुनिश्चित करने के लिए देश में अपनी राजनयिक उपस्थिति को कम करने के लिए कहा था।
भारत ने वीज़ा सेवाएं निलंबित होने के एक महीने से अधिक समय बाद पिछले महीने कनाडा में कुछ वीजा सेवाओं को फिर से शुरू किया।