कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो लगातार भारत पर झूठे आरोप लगा रहे हैं। लेकिन जब ट्रूडो से सबूत मांगे गए तो इस पर उन्होंने चुप्पी साध ली। कनाडा के इन बेबुनियाद आरोपों के खिलाफ भारत सरकार ने जबरदस्त एक्शन लेने शुरू कर दिया। जिससे कनाडा भी घबराया हुआ है। लेकिन अब इस पूरे मामले में चीन ने आग लगानी शुरू कर दी है। कनाडा की सरकार जब भारत पर अपने द्वारा लगाए गए आरोपों में घिरी तो भारत ने पीछे से वार करने की कोशिश की है। 23 सितंबर यानी आज से ही चीन के होंग्जो शहर में 19वें एशियन गेम्स का आगाज है। इसमें भारतीय एथलीट के दल में शामिल तीन महिला खिलाड़ियों को चीन ने वीजा देने से इनकार कर दिया। ये तीनों महिला खिलाड़ी एशियन गेम्स में भारत की वुशू टीम का हिस्सा थीं। वैसे चीन की तरफ से भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों के खिलाड़ियों के साथ हमेशा से इस तरह का भेदभाव करता रहा है। इस साल भारतीय वुशु खिलाड़ियों को स्टेपल वीजा दिया और मान्यता से वंचित रखा।
बैडमिंटन टीम के मैनेजर को रोक दिया गया था
साल 2016 में भारतीय बैडमिंटन टीम के कोच बमांग टैगो को चीन ने वीजा देने से इनकार कर दिया था। उनको उस वर्ष पूजों में आयोजित थाईह़ट चाइना ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप के लिए भारतीय टीम का प्रबंधक नियुक्त किया गया था। दूतावास में कई दिन पहले दस्तावेज जमा करने के बावजूद टीम मैनेजर और अरुणाचल प्रदेश बैडमिंटन एसोसिएशन के सचिव को छोड़कर सभी 12 खिलाड़ियों को अपना वीजा मिल गया।
अरुणाचल पर विवाद क्यों
पूर्वोत्तर भारत के अरुणाचल राज्य पर चीन अपना दावा जताता है। बीजिंग उसे दक्षिण तिब्बत कहता है। 1959 में तिब्बत में चीन के खिलाफ नाकाम विद्रोह के बाद दलाई लामा को भागकर भारत आना पड़ा। उस वक्त से चीन तिब्बत को अपना अभिन्न अंग कहता है। कभी तिब्बत साम्राज्य का अंग रह चुके सभी इलाकों पर अपना दावा जताता है। अरुणाचल प्रदेश में होने वाले भारत के किसी भी बड़े आयोजन या वहां तिब्बतियों के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के दौरे पर बीजिंग हमेशा आपत्ति जताता रहा है।