सदीय पैनल ने कहा है कि भारत को इस बात का नियमित मूल्यांकन करना चाहिए कि पाकिस्तान के साथ उच्च स्तरीय वार्ता फिर से शुरू करने के लिए स्थिति अनुकूल है या नहीं, साथ ही एक संसदीय पैनल ने पाकिस्तान की नापाक गतिविधियों और विभिन्न आतंकवादी संगठनों के साथ उसके संबंधों को उजागर करने के लिए राजनयिक प्रयास जारी रखने को कहा है। वैश्विक आतंकवाद का मुकाबला करने पर अपनी रिपोर्ट में संसद में पेश की गई। विदेश मामलों की संसदीय समिति ने कहा कि सरकार को इस बात का नियमित मूल्यांकन करना चाहिए कि क्या स्थिति पाकिस्तान सरकार के साथ उच्च स्तरीय बातचीत फिर से शुरू करने के लिए अनुकूल है।
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पिछले तीन वर्षों में नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच कोई उच्च स्तरीय बातचीत नहीं हुई है, खासकर फरवरी 2019 के पुलवामा हमले के मद्देनजर, जिसमें 40 केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवान मारे गए थे। गृह मंत्रालय (एमएचए) ने पैनल को सूचित किया था कि भारत और पाकिस्तान के बीच आखिरी गृह सचिव स्तर की वार्ता वर्ष 2011 में हुई थी। पैनल की सिफारिश पाकिस्तान में आम चुनाव से दो दिन पहले आई है, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ दौड़ में सबसे आगे हैं।
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शरीफ ने नई दिल्ली की प्रगति और वैश्विक प्रगति की सराहना करते हुए भारत के साथ अच्छे संबंधों की वकालत की है। आतंकवाद को पाकिस्तान के समर्थन पर अपना रुख बरकरार रखते हुए संसदीय पैनल ने कहा कि समिति की इच्छा है कि सरकार को अपनी भूमि सीमाओं को मजबूत करते हुए हर मंच पर पाकिस्तान की नापाक गतिविधियों और विभिन्न आतंकवादी संगठनों के साथ उसके संबंधों को उजागर करने के लिए अपने राजनयिक प्रयास जारी रखना चाहिए।