Breaking News

China के बढ़ते प्रभुत्व के बीच Australia ने रक्षा तंत्र में बड़े बदलाव की योजना बनाई

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस ने बताया कि उनकी सरकार ने यह पता लगाने के लिए समीक्षा की है कि ऑस्ट्रेलिया के पास मौजूदा रणनीतिक माहौल में खुद को बचाने के लिए आवश्यक रक्षा क्षमता है या नहीं।
एक सरकारी आयोग की सोमवार को जारी एक समीक्षा के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया को रक्षा पर अधिक पैसा खर्च करने, अपने स्वयं के गोला-बारूद बनाने और लंबी दूरी के लक्ष्यों को भेदने की क्षमता विकसित करने की जरूरत है।
रक्षा सामरिक समीक्षा में ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और ब्रिटेन के बीच तथाकथित
‘ऑकस’ साझेदारी का समर्थन किया गया जिसने मार्च में अमेरिकी परमाणु प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित आठ पनडुब्बियों का एक ऑस्ट्रेलियाई बेड़ा बनाने के लिए एक समझौते की घोषणा की थी।

अल्बनीस ने कहा, ‘‘हम समीक्षा में निर्धारित रणनीतिक दिशा और प्रमुख निष्कर्षों का समर्थन करते हैं, जो हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करेगा और भविष्य की चुनौतियों के लिए हमारी तैयारी सुनिश्चित करेगा।’’
इस गोपनीय समीक्षा के सार्वजनिक संस्करण में सिफारिश की गई कि ऑस्ट्रेलिया की सरकार सकल घरेलू उत्पाद के दो प्रतिशत के वर्तमान व्यय की तुलना में रक्षा पर अधिक खर्च करे। ऑस्ट्रेलियाई रक्षा बल की लंबी दूरी के लक्ष्यों को सटीक रूप से मारने की क्षमता में सुधार किया जाए और घरेलू स्तर पर युद्ध सामग्री का निर्माण किया जाए।

समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया कि द्वितीय विश्व युद्ध के अंत के बाद से चीन की सेना का विस्तार ‘‘ किसी भी देश की तुलना में सबसे अधिक है’’ और यह ‘‘हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के रणनीतिक इरादे में पारदर्शिता या आश्वासन के बिना हो रहा है।’’
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पांच दशकों से ऑस्ट्रेलिया की रक्षा नीति का मकसद छोटे या मध्यम-शक्ति वाले पड़ोसियों से संभावित निम्न-स्तर के खतरों को रोकना और उनका जवाब देना था।
समीक्षा में कहा गया, ‘‘यह रुख अब और काम नहीं आएगा।’’
रिपोर्ट में कहा गया कि ऑस्ट्रेलिया की सेना, वायु सेना तथा नौसेना को ‘‘समय पर तथा प्रासंगिक क्षमता प्रदान करने’’ पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

Loading

Back
Messenger