पाकिस्तान के पूर्व सेना अध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा ने सत्ता से बेदखल प्रधानमंत्री इमरान खान का बानी गाला आवास मामले में पक्ष लेने के लिए तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश को प्रभावित किया था। यह दावा प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के शीर्ष सहयोगी मलिक अहमद खान ने किया है।
प्रधानमंत्री शरीफ के विशेष सहयोगी मलिक अहमद ने कहा कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के प्रमुख इमरान खान को सत्यवादी और ईमानदार घोषित किया गया था, क्योंकि बाजवा ने पाकिस्तान के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश साकिब निसार को इस मामले में पूर्व प्रधानमंत्री का पक्ष लेने के लिए प्रभावित किया।
जियो न्यूज ने यह खबर बुधवार को दी।
हाल ही में एक टेलीविजन कार्यक्रम में मलिक अहमद ने दावा किया कि 29 नवंबर को सेवानिवृत्त हुए जनरल बाजवा ने खान को एक राष्ट्रीय सुलह अध्यादेश (एनआरओ) दिया था।
वर्ष 2007 में पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ की ओर से जारी किया गया राष्ट्रीय सुलह अध्यादेश (एनआरओ) एक विवादित अध्यादेश था, जो नेताओं, राजनीतिक कार्यकर्ताओं और नौकरशाहों पर लगे भ्रष्टाचार, धन शोधन और हत्या के आरोपों में माफी देने के लिए जारी किया गया था।
वर्ष 2017 में राजधानी विकास प्राधिकरण (सीडीए) और इस्लामाबाद राजधानी क्षेत्र (आईसीटी) प्रशासन ने इस्लामाबाद के बानी गाला की 122 संपत्तियों को अवैध घोषित किया था जिनमें इमरान का आवास भी शामिल था।
खबर में कहा गया कि मलिक अहमद खान पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के उन नेताओं में शामिल थे जो पाकिस्तानी सेना के सेवानिवृत्त प्रमुख के काफी नजदीकी रहे।
हालांकि, इस दावे को आधारहीन बताकर खारिज करते हुए निसार ने कहा कि सेना प्रमुख ने कभी उनके फैसले को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित नहीं किया।
पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि राजधानी शहर में पूरे बानी गाला क्षेत्र को अवैध रूप से निर्मित किया गया था और यह मामला परिसर में स्थित सभी संपत्तियों के नियमितीकरण को लेकर था।
पीटीआई नेता फवाद चौधरी ने भी मलिक अहमद खान के इस दावे को खारिज कर दिया। चौधरी ने कहा कि यह कहना कि बाजवा मुख्य न्यायाधीश को नियंत्रित कर रहे थे, एक गंभीर आरोप है। उन्होंने सर्वोच्च अदालत के रजिस्ट्रार से इस दावे पर संज्ञान लेने की मांग की।
क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान के बानी गाला आवास के नियमितीकरण पर चौधरी ने कहा कि पीटीआई प्रमुख ने अपना घर इस इलाके में तब बनवाया था जब इस तरह के निर्माण को नियमित करने वाला कोई नियम नहीं था।