बांग्लादेश में मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के बहिष्कार के बीच रविवार को आम चुनाव के लिए मतदान किया गया, जिसमें वर्तमान प्रधानमंत्री शेख हसीना ने रिकॉर्ड चौथी बार जीत दर्ज की है। उनकी पार्टी अवामी लीग ने हिंसा की छोटी मोटी घटनाओं और विपक्षी दल द्वारा चुनाव के बहिष्कार के मध्य चुनावों में जीत हासिल की है। आवामी लीग को चुनावों में दो तिहाई सीटें मिली है। शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग ने 300 सीटों में से 200 पर जीत हासिल की है।
रविवार को बांग्लादेश में हुए मतदान के बाद मतगणना की गई है, जिसमें शेख हसीना चौथी बार विजयी होकर निकली है। चुनावों में हसीना ने गोपालगंज-3 संसदीय सीट पर फिर से शानदार जीत दर्ज की। उन्हें 2,49,965 वोट मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी एवं बांग्लादेश सुप्रीम पार्टी के एम निजाम उद्दीन लश्कर को महज 469 वोट ही मिले। बांग्लादेश में वर्ष 2009 से हसीना (76) के हाथों में सत्ता की बागडोर है। इसबार, एकतरफा चुनाव में वह लगातार चौथा कार्यकाल हासिल कर ली है। प्रधानमंत्री के रूप में उनका अब तक का यह पांचवां कार्यकाल होगा।
बांग्लादेश में हुए चुनावों के संबंध में अवामी लीग के महासचिव ओबैदुल कादिर ने दावा किया कि बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी के चुनाव बहिष्कार को जनता ने अपने मतदान की ताकत से खारिज कर दिया है। 12वें राष्ट्रीय संसदीय चुनावों में मतदान करने वाले लोगों का कादिर ने धन्यवाद भी दिया है। उन्होंने कहा कि जनता ने बर्बरता, आगजनी और आतंकवाद के खौफ का मुकाबला किया और मतदान करने के अपने अधिकार को चुना। जातीय पार्टी के अध्यक्ष जी. एम. कादिर ने चुनावों में रंगपुर-3 सीट पर जीत दर्ज की।
बांग्लादेश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त काजी हबीबुल अवल का कहना है कि शुरुआती अनुमान के मुताबिक देश में 40 प्रतिशत मतदान हुआ था मगर आंकड़ों मे आने वाले समय में बदलाव हो सकता है। वर्ष 2018 के आम चुनावों में मतदान 80 प्रतिशत से अधिक था। इस वर्ष चुनावों के बीच बांग्लादेश में कुल 18 स्थानों पर आगजनी की घटनाओं की सूचना भी मिली है। इसमें से 10 मतदान केंद्रों को निशाना बनाया गया है।
पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के नेतृत्व वाली बीएनपी के नेताओं ने कहा कि पार्टी मंगलवार से शांतिपूर्ण सार्वजनिक भागीदारी कार्यक्रम के माध्यम से सरकार विरोधी अपने आंदोलन को तेज करने की योजना बना रही है। रविवार को हुए आम चुनावों का बहिष्कार करने वाली बीएनपी ने इसे फर्जी करार दिया है। बीएनपी ने 2014 के चुनाव का बहिष्कार किया था लेकिन इसने 2018 में चुनाव लड़ा था। इसके साथ, 15 अन्य राजनीतिक दलों ने भी चुनाव का बहिष्कार किया। पार्टी के नेताओं ने दावा किया है कि चुनाव में हुए कम मतदान से यह स्पष्ट है कि उनका बहिष्कार आंदोलन सफल रहा।
बता दें कि इस बार देश में 27 राजनीतिक दलों ने चुनाव लड़ा है, उनमें विपक्षी जातीय पार्टी भी शामिल है। बाकी सत्तारूढ़ अवामी लीग की अगुवाई वाले गठबंधन के सदस्य हैं जिसे विशेषज्ञों ने ‘‘चुनावी गुट’’ का घटक दल बताया है। देश के निर्वाचन आयोग के अनुसार, 42,000 से अधिक मतदान केंद्रों पर मतदान हुआ। चुनाव में 27 राजनीतिक दलों के 1,500 से अधिक उम्मीदवार मैदान में हैं और उनके अलावा 436 निर्दलीय उम्मीदवार भी हैं। भारत के तीन पर्यवेक्षकों समेत 100 से अधिक विदेशी पर्यवेक्षक 12वें आम चुनाव की निगरानी करेंगे। मतदान के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों और सुरक्षाबलों के 7.5 लाख से अधिक कर्मी तैनात किए गए हैं।