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Russia को भारत से भिड़वाना चाहता है बांग्लादेश? हिंदुस्तान ने रोका रास्ता तो पुतिन के पास क्यों गए आर्मी चीफ

कुछ दिनों पहले एक खबर आई थी कि बांग्लादेशी सेना में तख्तापलट होने वाला है। खुफिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए मीडिया में छपी रिपोर्ट के बाद से चर्चा तेज हुई। इस रिपोर्ट में लिखा गया था कि भारत की मदद से बांग्लादेश की सेना के अंदर तख्तापलट की साजिश नाकाम हो गई। बांग्लादेशी प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस और बांग्लादेशी सेना प्रमुख वकार जमान के बीच पैदा हुए टकराव ने इस खबर पर यकीन करने के लिए सभी को मजबूर कर दिया। हो सकता है कि ये खबर सच भी हो। बांग्लादेशी सेना की मीडिया शाखा ने इस खबर का खंडन किया है। लेकिन इस बात को कोई भी छिपा नहीं सकता कि अंतरिम सरकार के समर्थक सेना प्रमुख से नाखुश हैं। रही सही कसर इस खबर ने पूरी कर दी है। खबर है कि बांग्लादेश की सेना के प्रमुख रूस के दौरे पर जा रहे हैं। 

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ये दौरा ऐसे वक्त में हो रहा है जब अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहाकर मोहम्मद यूनुस चीन की यात्रा पूरी कर चुके हैं और प्रधानमंत्री मोदी से भी मुलाकात कर चुके हैं। भारत चीन दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ यूनुस की मुलाकात के बाद ही वकार उज जमान इस सप्ताह रूस की चार दिवसीय यात्रा पर पहुंचे। जनरल ज़मान ने हथियार निर्माण सुविधाओं का दौरा करने के अलावा मास्को में नागरिक और सैन्य नेतृत्व दोनों के साथ परामर्श किया। रूसी रक्षा मंत्रालय ने घोषणा की कि रूसी उप रक्षा मंत्री कर्नल जनरल अलेक्जेंडर फोमिन और जनरल ज़मान ने सैन्य सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की। उन्होंने रक्षा क्षेत्र में सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की और रूस और बांग्लादेश की सेनाओं और लोगों के बीच मौजूदा मैत्रीपूर्ण संबंधों को और मजबूत करने के लिए आपसी दृढ़ संकल्प व्यक्त किया। यह यात्रा बांग्लादेशी सेना प्रमुख द्वारा वर्तमान में बांग्लादेशी सेना द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे चीनी मूल के रक्षा उपकरणों से विविधता लाने के प्रयासों का हिस्सा हो सकती है। बांग्लादेश में चीनी रणनीतिक उपस्थिति के दायरे को व्यापक बनाने के यूनुस के प्रयासों के बीच बढ़ते रूस-बांग्लादेश संबंधों से भारत को सहजता मिलेगी।

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बांग्लादेश का रूस के करीब जाना और सैन्य स्तर पर बातचीक को बढ़ाना कई संकेत दे रहा है। ये दर्शाता है कि बांग्लादेश बड़े स्तर पर जाकर सहयोग को बढ़ाना चाहता है। सबसे पहले तो इससे ये साबित हो रहा है कि बांग्लादेश रक्षा विविधिकरण की कोशिश कर रहा है। बांग्लादेश अपनी सैन्य जरूरतों के लिए चीन और कुछ हद तक भारत पर निर्भर रहा है। रूस के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाना बांग्लादेश की उस रणनीति का हिस्सा हो सकता है जिसमें वो अपनी रक्षा आपूर्ति को विविध करना चाहता है। रूस जो वैश्विक स्तर पर हथियारों का एक प्रमुख निर्यातक भी है, उसके करीब जाना इसे और बड़ा बना रहा है। 

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