बांग्लादेश ने भारत और तीन अन्य देशों के शीर्ष राजनयिकों को मिली अतिरिक्त सुरक्षा’’ वापस ले ली है और विदेश मंत्री डॉ एके अब्दुल मोमन ने मंगलवार को कहा कि उनका देश करदाताओं के पैसे से यह सेवा नहीं मुहैया कराएगा।
भारत, अमेरिका, ब्रिटेन और सऊदी अरब के दूतों को शहर में आवाजाही के दौरान विशेष सुरक्षा मुहैया करायी जाती थी और विशेष उपकरणों से लैस पुलिसकर्मी अपनी गाड़ियों में उनके साथ चलते थे। एक जुलाई, 2016 को ढाका के एक नामी रेस्तरां में इस्लामी आतंकवादी हमले के बाद इन देशों के दूतों की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी।
उस हमले में एक भारतीय लड़की सहित कुल 20 लोगों की मौत हो गयी थी।
उनमें से 17 लोग विदेशी थे। विदेशी पीड़ितों में ज्यादातर जापानी और अमेरिकी थे।
ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस के राजनयिक सुरक्षा प्रभाग के एक अधिकारी ने मंगलवार को कहा, “हम कुछ विशेष देशों के राजदूतों और उच्चायुक्तों को अतिरिक्त सुरक्षा मुहैया करा रहे थे, इसे वापस ले लिया गया है। लेकिन उनको सामान्य सुरक्षा मिलती रहेगी।’’
अधिकारी ने नाम प्रकाशित नहीं करने के अनुरोध के साथ कहा कि सशस्त्र पुलिसकर्मी दूतों की आवाजाही के दौरान उनके साथ रहेंगे और उनके कार्यालयों एवं आवासों की सुरक्षा पहले की ही तरह जारी रहेगी।
विदेश मंत्री ने कहा कि मौजूदा कानून व्यवस्था को देखते हुए कुछ दूतों को अतिरिक्त सुरक्षा की आवश्यकता नहीं है और अतिरिक्त सुरक्षा वापस लेने का फैसला किया गया क्योंकि इन चार देशों के अलावा अन्य कई दूतावास भी समान सुरक्षा की मांग कर रहे थे।
मंत्री ने एक कार्यक्रम से इतर मीडिया से कहा, हमने किसी भी देश के दूत को अतिरिक्त सुरक्षा नहीं प्रदान करने का फैसला किया है।’’
समाचार एजेंसी यूनाइटेड न्यूज ऑफ बांग्लादेश ने मोमन के हवाले से कहा, ‘‘हम करदाताओं के पैसे से अतिरिक्त सुरक्षा सेवा नहीं प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि अगर किसी देश को अतिरिक्त सुरक्षा की आवश्यकता महसूस होती है, तो वे किराए पर सेवाएं ले सकते हैं।
मोमन ने कहा कि कई देश इसी तरह की सुरक्षा की मांग कर रहे हैं लेकिन हम किसी को यह सुरक्षा नहीं देंगे, क्योंकि यह भेदभावपूर्ण है, विदेश में कोई भी हमारे राजदूतों के लिए इस तरह का कदम नहीं उठाता।’’
ढाका ट्रिब्यून की खबर के अनुसार दूतावासों और पुलिस को एक सप्ताह पहले ही विदेश मंत्रालय के एक पत्र के माध्यम से इस फैसले की जानकारी दे दी गई थी।
मोमन के बयान के बाद, ढाका के पुलिस आयुक्त खांडकर गुलाम फारूक ने संवाददाताओं से कहा कि कर्मियों की कमी के कारण अधिकारियों ने यह निर्णय लिया।
इस बीच, यहां अमेरिकी दूतावास ने एक बयान में कहा, हमारे राजनयिकों और केंद्रों की सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है… लंबे समय से चली आ रही नीति के अनुसार, हम अमेरिकी दूतावास से संबंधित सुरक्षा विवरण का खुलासा नहीं करते हैं। वियना संधि के अनुसार, मेजबान देश को सभी राजनयिक मिशनों और कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपने दायित्वों को निभाना चाहिए।’’
जिन तीन अन्य मिशन को अतिरिक्त सुरक्षा मिल रही थी, उन्होंने इस घटनाक्रम पर अब तक कोई टिप्पणी नहीं की है।