तीन साल गुजर गए जब 15-16 जून को गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सेना के बीच झड़प की खबरें सामने आई थी। इस घटना के परिणामस्वरूप जानमाल का नुकसान तो हुआ ही था और भारत-चीन संबंधों के भविष्य की राह पर गंभीर सवाल खड़े हो गए। गलवान घाटी संघर्ष की 15 जून को वर्षगांठ है। इससे पहले कुछ फेक ट्विटर हैंडल जो संभवत: बीजिंग या इस्लामाबाद से जुड़े हो सकते हैं। उनकी तरफ से भारत-चीन सीमा शत्रुता को टारगेट करना शुरु कर दिया गया है। ट्विटर पर एक लंबे थ्रेड में झड़प के बाद पीएलए और भारतीय सैनिकों की ग्राफिक तस्वीरें और वीडियो 10 जून को साझा किए गए थे। उनमें से कुछ में भारतीय सैनिकों के क्षत विक्षत शव भी दिखाई दे रहे हैं।
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इससे पहेल पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की तरफ से रिकॉर्ड किए गए झ़ड़प वाले वीडियो पहले चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो पर लीक हुए थे और बाद में वे ट्विटर पर सामने आए थे। लेकिन इस बार नकली अकाउंट ने भारतीय सेना को कमजोर स्थिति में दिखाने के लिए वीडियो को सीझे ट्विटर पर शेयर किया है। भारतीय सेना को निशाना बनाने वाला वीडियो चीन के डिजिटल वार का हिस्सा है। हालांकि चौंकाने वाली बात ये है कि लीक से पता चलता है कि गलवान से पहले की यथास्थिति पहले की तरह ही गंभीर स्तर पर बनी हुई है।
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वहीं चीनी नेता शी जिनपिंग ने आंतरिक मंगोलिया की यात्रा के दौरान सीमा रक्षा को मजबूत करने का आह्वान किया। शी ने एक बार फिर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) से चीन की सीमाओं की रक्षा करने और इनर मंगोलिया की अपनी यात्रा के दौरान “स्टील की महान दीवार” बनाने के लिए कहा। उन्होंने उत्तरी चीन के आंतरिक मंगोलिया स्वायत्त क्षेत्र में सीमा प्रबंधन और नियंत्रण और सीमा सैनिकों के विकास पर एक कार्य रिपोर्ट सुनने के बाद यह टिप्पणी की। शी जिनपिंग ने जोर देकर कहा कि देश पर शासन करने के लिए, सीमाओं पर शासन करना जरूरी है। सीमांत रक्षा कार्य देश के शासन में एक प्रमुख घटना है, जो राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से संबंधित है।