हिंदुस्तान से जुड़ी हर खबर पाकिस्तान के लिए इज्जत बचाने का मौका बन जाती है। 26 जनवरी के अगले ही दिन शाम के वक्त खबर आई कि अमेरिका में राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन किया। इसमें पीएम मोदी के व्हाइट हाउस जाने का जिक्र हुआ। अगले महीने पीएम मोदी ट्रंप से अमेरिका जाकर मुलाकात कर सकते हैं। लेकिन ट्रंप की लिस्ट में अब तक इस्लामाबाद का नंबर नहीं आया। ट्रंप के फोन कॉल के इंतजार में बैठे शहबाज इस खबर के बाद बैचेन हो गए। वाशिंगटन से आई खबरें देख देखकर इस्लामाबाद की जनता के सीने पर सांप लोटने लगा है। अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पीएम मोदी के बीच बातचीत हुई। व्हाइट हाउस से जारी बयान के मुताबिक दोनों नेताओं ने अपने फायदे और भरोसेमंद साझेदारी को जारी रखने की बात की। इसी कॉल में पीएम मोदी के व्हाइट हाउस जाने की योजना पर भी बात हुई।
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ये सब सुनने के बाद पाकिस्तान को अमेरिका में अपना पत्ता कटता हुआ दिखाई दे रहा है। ट्रंप की कॉलिंग लिस्ट की वजह से पाकिस्तान की बढ़ रही दिल की धड़कनों को कुछ इस तरह से समझिए। 23 जनवरी को ट्रंप ने अल साल्वाडोर के राष्ट्रपति नायब बुकेले को फोन किया। उसके बाद सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद सलमान से बात की। 25 जनवरी को जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला, 26 जनवरी को बहरीन के किंग और यूके के प्रधानमंत्री से बात हुई। 27 जनवरी को ट्रंप की पीएम मोदी से बात हुई। लेकिन इस लिस्ट में अब तक पाकिस्तान का नंबर नहीं आया। पाकिस्तानी इसकी वजह ट्रंप के विदेश मंत्री माक्रो रूबियो को मानते हैं। पाकिस्तानी टीवी चैनलों पर अमेरिका के पत्रकार अमेरिका के विदेश मंत्री के बारे में जो जानकारी दे रहे हैं वो अपने आप में सबसे ज्यादा हैरान करने वाला है।
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अमेरिका का पीएम मोदी को व्हाइट हाउस में बुलाने का फैसला ऐसा है जैसे मानों कई लोगों के जले में नमक लगा दिया गया हो। अमेरिका और भारत मिलकर नई तकनीक, इवेंस्टमेंट, एनर्जी और डिफेंस के मुद्दे पर बड़ी डील करने वाले हैं। पाकिस्तान इन सेक्टर्स में नील बट्टे सन्नाटा है। अमेरिका में राष्ट्रपति बदल गए। पहले बाइडेन और अब ट्रंप आ गए। लेकिन इस्लामाबाद का वक्त नहीं बदला। बाइडेन ने पाकिस्तान की मिसाइलों को ठप्प करने का इंतजाम कर दिया था। अब ट्रंप ने आते ही पाकिस्तान को मिलने वाली मदद पर रोक लगा दी।