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ब्रिटेन: थेटफोर्ड संग्रहालय को पंजाब के अंतिम महाराजा की विरासत को संजोने के लिए करीब 2 लाख पाउंड मिले

सिख साम्राज्य के अंतिम शासक महाराजा दलीप सिंह की विरासत को संजोने के लिए ब्रिटेन स्थित एक संग्रहालय को ‘नेशनल लॉटरी हेरिटेज फंड’ द्वारा लगभग 200,000 पाउंड का अनुदान दिया गया है।
ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कार्पोरेशन (बीबीसी) की रिपोर्ट के अनुसार, नॉरफॉक के थेटफोर्ड में ‘एंसिएंट हाउस म्यूजियम’ को उसकी 100वीं वर्षगांठ पर यह धनराशि प्रदान की गई।
संग्रहालय की स्थापना 1924 में महाराजा दलीप सिंह के पुत्र प्रिंस फ्रेडरिक दलीप सिंह द्वारा की गई थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, अनुदान के रूप में प्राप्त 1,98,059 पाउंड (2,51,712.99 अमेरिकी डॉलर) की धनराशि का इस्तेमाल परिवार की गाथा को प्रदर्शित करके बताने में उपयोग किया जाएगा।
महाराजा दलीप सिंह, महाराजा रणजीत सिंह के सबसे छोटे पुत्र थे। महाराजा रणजीत सिंह ने 1799 में पंजाब में सिख साम्राज्य की स्थापना की थी।

अपने पिता और भाई की मृत्यु के बाद, दलीप सिंह पांच साल की उम्र में राज्य के शासक बने, लेकिन 1849 में ब्रिटेन द्वारा पंजाब पर कब्जा करने के बाद उन्हें सिंहासन से हटा दिया गया।
दलीप सिंह 15 साल की उम्र में इंग्लैंड पहुंचे और बाद में सफोल्क के एल्वेडेन हॉल में अपना घर बनाया। उनका परिवार अगली शताब्दी तक इस क्षेत्र में रहा।
दलीप सिंह के दूसरे बेटे प्रिंस फ्रेडरिक ने शहर के लोगों को थेटफोर्ड का ‘एंसिएंट हाउस म्यूजियम’ दान में दिया।
वह सफोक और नॉरफॉक येओमेनरी का हिस्सा थे और प्रथम विश्व युद्ध में उन्होंने सेवा दी थी। नेशनल लॉटरी हेरिटेज फंड के लिए इंग्लैंड, मिडलैंड्स और ईस्ट के निदेशक रॉबिन लेवेलिन ने कहा, ‘‘संग्रहालय अब दलीप सिंह के परिवार के आकर्षक इतिहास को प्रदर्शित करने के लिए दो साल की परियोजना शुरू कर रहा है।’’

नॉरफ्रॉक काउंटी काउंसिल ने कहा कि नए प्रदर्शन के तहत ‘एंग्लो-पंजाब’ इतिहास, एल्वेडेन हॉल का एक मॉडल, दलीप सिंह के चित्र को शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सार्वभौमिक मताधिकार प्राप्त करने में परिवार के योगदान और उसकी सक्रियता को भी प्रदर्शित किया जाएगा।
संग्रहालय में परिवार की वस्तुएं भी प्रदर्शित की जाएंगी, जैसे कि दलीप सिंह की चलने की छड़ी, जिसे उन्हें किंग एडवर्ड सप्तम ने तब दी थी, जब वह प्रिंस ऑफ वेल्स थे।

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