स्व-निर्वासन से पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनावात्रा के लौटने के बाद, थाईलैंड की फीयू थाई पार्टी के श्रेत्था थाविसीन ने देश का प्रधानमंत्री नियुक्त होने के लिए संसद में मंगलवार को पर्याप्त वोट हासिल कर लिए।
देश के 30वें प्रधानमंत्री के लिए संसद में उपस्थित 727 सदस्यों में से 482 ने रियल एस्टेट कारोबारी श्रेत्था (61) के पक्ष में मतदान किया। इसके साथ ही, मई में हुए चुनावों के बाद से जारी गतिरोध, कानूनी तकरार और सांसदों की खरीद-फरोख्त समाप्त हो गई है।
मतदान पूरा नहीं हो सका, लेकिन श्रेत्था को जीत के लिए पर्याप्त वोट हासिल हो गये हैं। सदन में किसी के गिर जाने के बाद मतदान रोकना पड़ गया। तब, करीब 20 वोट डाले जाने शेष थे।
स्वदेश लौटने पर थाकिसन के आठ साल जेल की सजा शुरू करने के कुछ घंटों बाद यह घटनाक्रम हुआ। उनके सैकड़ों समर्थक सुबह में हवाई अड्डे पर एकत्र थे। हवाई अड्डे पर उन्होंने थाईलैंड नरेश और रानी की एक तस्वीर को नमन तथा माल्यार्पण किया।
लेकिन उन्होंने टर्मिनल के बाहर इंतजार कर रहे पत्रकारों से बात नहीं की।
वहीं, श्रेत्था के समर्थक चुनाव बाद की महीनों लंबी अनिश्चितता समाप्त होने का जश्न मना रहे हैं, जिसमें विजेता प्रगतिशील मूव फॉरवर्ड पार्टी को रूढ़िवादी सीनेटरों ने सत्ता में आने से रोक दिया है।
रियल एस्टेट कारोबारी श्रेत्था, फीयू थाई पार्टी द्वारा बनाये गये 11 दलों के गठबंधन का नेतृत्व करेंगे, जिसमें निवर्तमान प्रधानमंत्री प्रयुत चान ओचा से संबद्ध सैन्य समर्थक दो दल शामिल हैं।
मूव फॉरवर्ड को गठबंधन से बाहर कर दिया गया है। आलोचकों ने नयी सरकार को चुनाव नतीजों के साथ विश्वासघात करार दिया है, लेकिन फीयू थाई नेताओं ने इसका इस वजह से बचाव किया है कि राजनीतिक गतिरोध खत्म करने और सुलह शुरू करने के लिए यह आवश्यक है।
मंगलवार को लौटने से पहले 74 वर्षीय अरबपति थाकसिन ने कहा था कि वापस आने के उनके फैसले का सत्ता के लिए फीयू थाई पार्टी के फैसले से कोई लेना-देना नहीं है।
कई चुनाव विश्लेषकों ने ये अटकलें लगायी हैं कि पार्टी ने थाकसिन की जेल की सजा रद्द कराने या इसकी अवधि घटाने के लिए अपने पूर्व दुश्मनों से हाथ मिलाया है।
थाकसिन और उनके द्वारा समर्थित दलों ने वर्षों से सेना से संघर्ष किया है। थाकसिन ने 2006 में तख्तापलट के बाद 15 साल पहले थाईलैंड छोड़ दिया था। तख्तापलट के चलते वह प्रधानमंत्री के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाये थे।
थाकसिन की बहन यिंगलक शिनावात्रा नीत फीयू थाई पार्टी की सरकार को तत्कालीन सेना प्रमुख प्रयुत चान ओचा ने 2014 में अपदस्थ कर दिया था, जो अब निवर्तमान प्रधानमंत्री हैं और जिन्हें सेना से जुड़े दलों ने मई में खारिज कर दिया था।
फीयू थाई पार्टी चुनाव में दूसरे स्थान पर रही थी, लेकिन विजेता मूव फॉरवर्ड पार्टी को रूढ़िवादी सीनेटरों द्वारा बार-बार खारिज किये जाने के बाद उन्हें सरकार बनाने का एक मौका मिल गया। इन सीनेटरों को पूर्ववर्ती सैन्य सरकार ने नियुक्त किया था।
श्रेत्था ने यह विश्वास जताया है कि वह अर्थव्यवस्था में नयी जान फूंकेंगे और लोगों के बीच असमानता को कम करेंगे।
उन्होंने संसद में मतदान से कुछ दिन पहले ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा था, ‘‘मैं देश और अर्थव्यवस्था को बेहतर करना चाहता हूं। लोगों की गरीबी और असमानता मेरे दुश्मन हैं। मेरा लक्ष्य सभी थाई लोगों के लिए आजीविका को बेहतर करना है।’’
उन्होंने पिछले साल नवंबर में फीयू थाई पार्टी में शामिल होने की घोषणा की थी।
साल की शुरूआत में श्रेत्था ने अपने परिवार की कंपनी संसिरी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रमुख के तौर पर इस्तीफा दे दिया था। यह थाईलैंड की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों में एक है। उन्होंने कंपनी में अपने सभी शेयर भी अपनी बेटी को हस्तांतरित कर दिए, जिनका मूल्य 3.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर है।
श्रेत्था ने अमेरिका के क्लेयरमोंट ग्रेजुएट यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री हासिल की है।
फीयू थाई पार्टी द्वारा श्रेत्था को प्रधानमंत्री नामित करने की पुष्टि किये जाने के बाद उनके और कंपनी के बीच, कर चोरी और धन शोधन का आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया। कंपनी और इसके पूर्व सीईओ ने कोई गलत कार्य करने से इनकार किया है।
उनका जन्म एक धनी परिवार में हुआ था।
फीयू थाई पार्टी में शामिल होने के बाद वह चुनाव प्रचार के दौरान श्रमिक वर्ग के बीच और बैंकॉक की सबसे बड़ी झुग्गी झोपड़ी बस्ती में गए थे।
वह पार्टी की आर्थिक टीम के सलाहकार बने और पार्टी की नीतियों को आगे बढ़ाने में मदद की, जिसमें 16 साल और इससे अधिक आयु के सभी लोगों के लिए 290 अमेरिकी डॉलर डिजिटल मुद्रा के रूप में देने की एक योजना भी शामिल है। इसने उन्हें चर्चा के केंद्र में ला दिया था।
राजनीति में आने से पहले वह प्रयुत नीत निवर्तमान सरकार के कटु आलोचक थे। श्रेत्था विपक्ष के उन दर्जनों नेताओं के अलावा शिक्षाविदों और कार्यकर्ताओं में शामिल हैं, जिन्हें प्रयुत के सैन्य शासन ने तख्तापलट के शीघ्र बाद पूछताछ के लिए तलब किया था।