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Cambodia के विपक्षी नेता Kem Sokha को राजद्रोह के मामले में 27 साल नजरबंद रखने का आदेश

कंबोडिया की एक अदालत ने भंग हो चुकी कंबोडिया नेशनल रेस्क्यू पार्टी के नेता केम सोखा को शुक्रवार को राजद्रोह के एक मामले में दोषी करार देते हुए उन्हें 27 वर्ष नजरबंद रखने का आदेश सुनाया।
नोम पेन्ह नगर अदालत ने कहा कि विपक्षी नेता सोखा ने 2010 से लेकर 2017 तक विदेशी ताकतों का साथ दिया। सोखा को 2017 में गिरफ्तार कर लिया गया था।
अदालत ने कहा कि सोखा एक महीने के अंदर उसके आदेश के खिलाफ अपील दायर कर सकते हैं।

साल 2017 में संबंधित आरोपों में सोखा की गिरफ्तारी के कुछ समय बाद कंबोडिया नेशनल रेस्क्यू पार्टी भंग कर दी गई थी और उसके सदस्यों को संसद से निष्कासित कर दिया गया था।
कंबोडिया में आम चुनाव से चार महीने पहले अदालत का यह फैसला आया है, जिसे विपक्ष के लिए एक नया झटका माना जा रहा है। प्रधानमंत्री हुन सेन की सरकार पर आरोप है कि वह वर्षों से विपक्ष का कानूनी उत्पीड़न कर रही है।
सोखा (69) कंबोडिया के उन प्रमुख विपक्षी नेताओं में शामिल हैं, जो स्वनिर्वासन में नहीं गए हैं।

अधिकतर अन्य नेता विदेश चले गए हैं, जिसे आमतौर पर राजनीति से प्रेरित उत्पीड़न के तौर पर देखा जाता है।
अदालत ने कहा है कि सोखा मतदान समेत किसी भी राजनीतिक गतिविधि से दूर रहेंगे और उन्हें परिवार के सदस्यों के अलावा किसी अन्य कंबोडियाई व विदेशी व्यक्ति से मिलने की अनुमति नहीं होगी। वह अदालत की अनुमति से ही घर से बाहर निकल सकते हैं।
केम सोखा कंबोडिया नेशनल रेस्क्यू पार्टी के प्रमुख थे। उन्हें सितंबर 2017 में एक पुराने वीडियो के आधार पर गिरफ्तार किया गया था। वीडियो में उन्हें एक सेमिनार में अमेरिकी लोकतंत्र समर्थक समूहों से सलाह लेने के बारे में बोलते हुए सुना जा सकता था।

प्रधानमंत्री हुन सेन की सरकार ने कहा था कि यह अवैध रूप से सत्ता हासिल करने के लिए एक विदेशी शक्ति के साथ मिलीभगत का सबूत है।
विभिन्न अधिकार समूहों ने शुक्रवार को आए अदालत के इस फैसले की आलोचना की है।
ह्यूमन राइट्स वाच के एशिया में डिप्टी निदेशक फिल रॉबर्टसन ने कहा, ‘‘यह शुरूआत से भी स्पष्ट था कि केम सोखा के खिलाफ लगे आरोप कंबोडिया के प्रमुख विपक्षियों को रास्ते से हटाने और देश की लोकतांत्रिक प्रणाली को खत्म करने की प्रधानमंत्री हुन सेन की राजनीतिक रूप से प्रभावित साजिश थी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘केम सोखा को जेल भेजना सिर्फ उनकी राजनीतिक पार्टी को भंग करने के लिए नहीं था, बल्कि उसका लक्ष्य देश में जुलाई में होने वाले आम चुनाव के निष्पक्ष होने की सभी उम्मीदों पर पानी फेरना था।’’
संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार संस्था के उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने एक बयान में कहा कि इस फैसले से वह ‘निराश’ हैं।
कंबोडिया में स्थित अमेरिकी दूतावास ने कहा कि फैसले से वह ‘बहुत निराश है।

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