विदेश मंत्रालय ने खालिस्तानी कट्टरपंथियों के खिलाफ अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों से कड़ी कार्रवाई की मांग की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि अलगाववाद को प्रचारित करने और आतंकवाद को वैध बनाने के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि खालिस्तान समर्थक समूह भारतीय राजनयिकों और मिशनों के खिलाफ हिंसा भड़काने के लिए अभियान चला रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन में प्रतिबंधित सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के एक पोस्टर अभियान में इन चार देशों में 8 जुलाई को भारतीय राजनयिकों और मिशनों को निशाना बनाने के लिए किल इंडिया रैली का आह्वान किया गया है। बागची ने कहा कि भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा सरकार के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है।
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मुद्दे को कनाडा सरकार के सामने उठाया गया
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि हम इसकी निंदा करते हैं। उन्होंने कहा कि हमने इस मुद्दे को कनाडा सरकार के सामने उठाया है। हमने कनाडा सरकार से कहा कि वो हमारे राजनयिकों को वहां काम करने की आजादी मुहैया कराएं। बागची ने सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के जनमत संग्रह वाले वीडियो पर कहा कि हमें इसकी जानकारी है और हमने इस मुद्दे कनाडा के अधिकारियों के सामने उठाया है।
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यूएन मुख्यालय के सामने खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने जारी किया वीडियो
खालिस्तानी संगठन सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) के संस्थापक गुरपतवंत सिंह पन्नून को कनाडा में खालिस्तान जनमत संग्रह वोटिंग का आह्वान करते हुए सुना जा सकता है। वीडियो में पन्नून को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र (यूएन) मुख्यालय के सामने खड़ा देखा जा सकता है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बागची ने आगे कहा कि संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के बाहर वीडियो शूट करना इसे और अधिक वैधता नहीं देता है। हम कनाडाई अधिकारियों और अन्य देशों के साथ भी इस प्रकार के खतरों के मुद्दे उठाते रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि यह सिर्फ कनाडा ही नहीं है, बल्कि जहां भी ऐसी गतिविधियां आयोजित की जाती हैं, कार्रवाई की जानी चाहिए और हम नियमित रूप से संबंधित सरकारों के साथ इस मामले को उठाएंगे। हम मेजबान देश से ऐसे तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की उम्मीद करते हैं।