कनाडा वाले जस्टिन ट्रूडो के सितारे इन दिनों गर्दिश में चल रहे हैं। बात-बात पर भारत से तकरार रखने वाले जस्टिन ट्रूडो को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब जगमीत सिंह की न्यू डेमक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) ने सप्लाई एंड कॉन्फिडेंस डील से खुद को अलग कर लिया। अब सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी को मॉन्ट्रियल संसदीय उपचुनाव में करारी हार मिली है। संघीय उपचुनाव में एक और अपमानजनक हार का सामना करने के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की सरकार को अगले सप्ताह की शुरुआत में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ सकता है।
इसे भी पढ़ें: नेपाल की विदेश मंत्री देउबा सोमवार को कनाडा के लिए रवाना होंगी
16 सितंबर को घोषित उपचुनाव के नतीजों के अनुसार, क्यूबेक के लासेल-एमार्ड-वर्डुन में हार का सामना करना पड़ा। फैसला ब्लॉक क्यूबेकॉइस के लुइस-फिलिप सॉवे के पक्ष में गया। सॉवे ने लिबरल पार्टी की उम्मीदवार लॉरा पलेस्टिनी को हराया। इस साल की शुरुआत में पूर्व कैबिनेट मंत्री डेविड लैमेटी के इस्तीफ़े के कारण यह उपचुनाव हुआ था। उन्होंने 2021 के संघीय चुनाव में लगभग 20 प्रतिशत के अंतर से जीत हासिल की थी। यह हार जून में सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा एक अन्य सेफ माने जाने वाली टोरंटो-सेंट पॉल्स हारने के बाद हुई सामने आई है। ट्रूडो के सामने अगली चुनौती अगले सप्ताह तक टिके रहना होगा, जब विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाने की उम्मीद है। कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पियरे पोलीवरे ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि कर बढ़ गए हैं। लागत बढ़ गई है। अपराध बढ़ गए हैं। समय बढ़ गया है।
इसे भी पढ़ें: कनाडा में भारतीय उच्चायोग पर हमला मामला: एनआईए ने पंजाब में मारे छापे
जस्टिन ट्रूडो 2025 के अंत में होने वाले आम चुनाव को अपने नेतृत्व में लड़ना चाहते हैं। हालांकि, उनकी की पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने शीर्ष नेतृत्व में बदलाव की मांग की है। क्यूबेक निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाली लिबरल विधायक एलेक्जेंड्रा मेंडेस ने पिछले सप्ताह कहा कि उनके कई मतदाता चाहते थे कि ट्रूडो चले जाएं।