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द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान कैथोलिक ईसाई मठों ने यहूदियों को दी थी शरण:दस्तावेज

अनुसंधानकर्ताओं को नए दस्तावेज प्राप्त हुए हैं जो उन खबरों की पुष्टि करते हैं कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान रोम में कैथोलिक ईसाइयों के कॉन्वेंट और मठों ने यहूदियों को आश्रय दिया था।
अध्ययनकर्ताओं के मुताबिक दस्तावेजों में कम से कम 3,200 यहूदियों के नाम दर्ज हैं जिनकी पहचान शहर के यहूदी समुदाय के सदस्य के तौर पर गई है।
पोंटिफिकल बाइबिल इंस्टीट्यूट, इजराइल के याद वाशेम हॉलोकॉस्ट (यूरोप में यहूदी जनंसहार) अनुसंधान संस्थान और रोम के यहूदी समुदाय के अनुसंधानकर्ताओं ने बृहस्पतिवार को रोम के मुख्य यहूदी प्रार्थनगृह सिनागोगके हिस्से शोआ संग्रहालय में आयोजित एक अकादमिक सम्मेलन में अनुसंधान के नतीजे को सामने रखा।

दस्तावेजों में रोम पर नाजी कब्जे के दौरान तत्कालीन पोप पायस 12वें की भूमिका पर कोई प्रकाश नहीं डाला गया है। इतिहासकारों के बीच पायस की विरासत को लंबी बहस हुई है। उनके समर्थक दावा करते हैं कि उन्होंने यहूदियों को बचाने के लिए कूटनीति का इस्तेमाल किया जबकि आलोचकों का कहना है कि जब वेटिकन के बगल में रोम निवासी यहूदियों को गिरफ्तार किया गया और निर्वासित किया गया तब वह चुप रहे।
पोंटिफिकल बाइबिल इंस्टीट्यूट, याद वाशेम और रोम के यहूदी समुदाय ने एक संयुक्त बयान में कहा कि नए दस्तावेज में उन लोगों के नाम और पते दर्ज हैं जिन्हें युद्ध के दौरान कैथोलिक संस्थानों में आश्रय दिया गया था।

इससे पहले इटली के समकालीन इतिहासकार रेन्जो डी फेलिस ने 1961 की अपनी किताब में अस्पष्ट रूप से उल्लेख किया था।
बयान के मुताबिक दस्तावेज बाइबिल संस्थान के अभिलेखागार से मिला, जो जेसुइट द्वारा संचालित पोंटिफिकल ग्रेगोरियन विश्वविद्यालय से संबद्ध है। इसमें 4,300 से अधिक लोगों की सूची है जिन्हें 100 महिलाओं और 55 पुरुषों की धार्मिक संपत्तियों में आश्रय दिया गया था। बयान में कहा गया है, उनमें से 3,600 की पहचान नाम से की गई है, और रोम के यहूदी समुदाय के अभिलेखागार में शोध से पता चलता है कि 3,200 निश्चित रूप से यहूदी थे।

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