चीन के विरोध के बावजूद स्वशासित ताइवान ने मध्य यूरोपीय देश चेक गणराज्य के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति पेट्र पावेल के साथ फोन पर बातचीत में अपने संबंधों की पुन: पुष्टि की। इसके बाद चीन ने मंगलवार को पावेल पर उसकी दृढ़ राष्ट्रीय संप्रभुता को चुनौती देने का आरोप लगाया।
सोमवार को दोनों नेताओं के बीच बातचीत इस स्वशासित लोकतंत्र के अन्य देशों के साथ संबंधों को प्रतिबंधित करने के चीन के प्रयासों का सांकेतिक विरोध है। चीन ताइवान पर दावा करता है और उसके अनुसार क्षेत्र को स्वतंत्र राजनयिक संबंध रखने का अधिकार नहीं है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने आरोप लगाया कि पावेल ने चीन के बार-बार मना करने और शिकायतों की अवहेलना की। उन्होंने कहा, चीन इसका विरोध करता है और इसकी निंदा करता है और इस संबंध में चेक गणराज्य के साथ गंभीर शिकायतें की हैं।
माओ ने दैनिक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि चेक गणराज्य को इस घटना के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए कदम उठाने चाहिए ताकि चीन-चेक संबंधों को व्यापक नुकसान होने से बचाया जा सके।’’
चेक गणराज्य के प्रधानमंत्री पेट्र फियाला ने चीन की आलोचना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “चीन के प्रति चेक गणराज्य की नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है और यह हमारे सहयोगियों की नीति के अनुरूप है। चेक गणराज्य अपनी एक-चीन नीति का सम्मान करता है।’’
उन्होंने ट्वीट कर कहा, “एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में, हमें यह तय करना है कि हम किसे बातचीत करते हैं या हम किससे मिलते हैं। पारंपरिक रूप से, लोकतांत्रिक ताइवान के साथ हमारे अच्छे आर्थिक, शैक्षिक और अनुसंधान संबंध हैं। इस बात का सम्मान करना भी आवश्यक है कि चीन एक महत्वपूर्ण एशियाई व्यापारिक भागीदार है। हम अपनी परंपरा पर कायम हैं और हम साझा लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने की जरूरत पर जोर दे रहे हैं।’’
इससे पहले, ताइवान की आधिकारिक ‘सेंट्रल न्यूज एजेंसी’ ने राष्ट्रपति के प्रवक्ता लिन यू चान के हवाले से बताया कि बातचीत में राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने कहा कि ‘‘ताइवान एवं चेक गणराज्य के बीच गहरे संबंध हैं और दोनों स्वतंत्रता, लोकतंत्र एवं मानवाधिकारों के मूल्यों को साझा करते हैं।’’
लिन के हवाले से कहा गया है, ‘‘सौहार्दपूर्ण संबंध के आधार पर ताइवान की सरकार चेक गणराज्य के साथ सेमीकंडक्टर डिजाइन, नए प्रौद्योगिकी में नयी-नयी प्रतिभाओं को जोड़ने और आपूर्ति श्रृंखला को पुनर्गठित करने सहित कई अहम क्षेत्रों में आदान प्रदान एवं सहयोग को लेकर आशान्वित है।’’
इससे पहले भी, चीन ने ताइवान के साथ घनिष्ठ संबंध चाहने वाले देशों के खिलाफ प्रतिशोध की धमकी दी है, लेकिन डराने के उसके प्रयासों से यूरोप, जापान, अमेरिका और अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में विपरीत प्रतिक्रिया पैदा हुई है।