भारत का विरोधी चीन इन दिनों आर्थिक दुर्बलता से गुजर रहा है। चीन की आर्थिक हालत किसी से छुपी नहीं है। यहां जल्द ही मंदी भी पैर पसारने जा रही है। राज्य, संपत्ति और शिक्षा क्षेत्र में अभूतपूर्व गिरावट आ रही है। पूरे चीन में बेरोजगारी दर सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर है। वहीं बीते 40 वर्षों से वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी मजबूत उपस्थिति को दर्ज कराने वाला चीन अब अपनी अर्थव्यवस्था को डूबने से बचाने में जुटा हुआ है।
ये भी माना जा रहा है कि चीन ही स्थिति पूर्व सोवियत संघ यानी की वर्तमान के रूस की तरह हो सकती है। चीन की अर्थव्यवस्था जिस तरह से सुस्त हो गई है उसे देखकर ही ये कयास लगाए जा रहे है।
चीनी अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुस्त
ये समय चीन के लिए बेहद ही मुश्किल है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि चीन की अर्थव्यवस्था बहुत धीमी गति से बढ़ रही है। चीन में मुश्किल हालात के बीच दुनिया भर के आर्थिक विशेषज्ञों द्वारा कई तरह की अटकलें लगाई गई हैं। इसी बीच ग्लोबल इकॉनमी के एक्सपर्ट्स ने ये जानकारी दी है कि मंदी पूरी तरह से चीन में आई तो चीन को उससे उबरने में कई वर्षों का समय लग जाएगा। गौरतलब है कि वर्ष 1980 से 2020 तक चालीस वर्षों के दौरान में चीन की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ी है, जिसका गवाह पूरी दुनिया रही है।
इस दौरान चीन की अर्थव्यवस्था के बढ़ने के साथ ही चीन में कृषि सुधार हुए। औद्योगिकीकरण में बढ़ोतरी की गई। वहीं लोगों की इनकम में भी इजाफा हुआ है, जिससे चीन के करोड़ों लोग गरीबी रेखा से बाहर निकले है। अगर मौजूदा हालात पर गौर करें तो चीन की अर्थव्यवस्था में 25 प्रतिशत तक गिरावट देखने को मिल सकती है।
इन दिनों चीन में प्रॉपर्टी के दाम लगातार नीचे गिरते जा रहे है। हर जगह उपभोक्ता खर्च, निवेश और निर्यात में कमी आई है। इस साल 2023 की दूसरी तिमाही में चीनी अर्थव्यवस्था 3.2% की वार्षिक दर से बढ़ रही है, जबकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था की विकास दर 6% रहने का अनुमान है। ये आंकड़े साफ बताते हैं कि चीन की अर्थव्यवस्था अमेरिका से पिछड़ रही है। अमेरिका के साथ चीन लंबे समय तक ट्रेड वार में लगा रहा था, जिसका असर अब दिखने लगा है।
‘द इकॉनमिस्ट’ की रिपोर्ट की मानें तो चीन की हालत के लिए शी जिनपिंग जिम्मेदार है। सत्ता पर काबिज शी जिनपिंग की विस्तारवादी नीतियों, छोटे और गरीब देशों को कर्ज के जाल में फंसाने के कारण ही चीन की अर्थव्यवस्था अब डूबने की दिशा में बढ़ रही है। हालांकि शी जिनपिंग लगातार चीन की स्थिति को दुनिया से छिपाने की कोशिश कर रहे है। शी जिनपिंग ने ब्रिक्स सम्मेलन में भी चीन की अर्थव्यवस्था के बारे में नहीं बोला है जिससे कई संदेह पैदा हो रहे है।